सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से दिव्यांगों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी से निपटने के लिए कड़े कानून बनाने पर विचार करने को कहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने आज केंद्र से दिव्यांगों और दुर्लभ आनुवंशिक विकारों से ग्रस्त व्यक्तियों का उपहास करने वाली अपमानजनक टिप्पणियों को अनुसूचित जाति-अनुसूचित जन जाति अधिनियम की तर्ज पर दंडनीय अपराध बनाने के लिए एक कानून बनाने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायामूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अभद्र, आपत्तिजनक और अवैध सामग्री को नियंत्रित करने के लिए एक तटस्थ, स्वतंत्र और स्वायत्त निकाय की आवश्यकता है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इस बारे में पीठ को सूचित किया कि सरकार में कुछ दिशानिर्देश बनाने पर विचार हो रहा है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हास्य किसी की गरिमा की कीमत पर नहीं हो सकता।
न्यायालय एसएमए क्योर फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह संस्था दुर्लभ स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए काम करती है। याचिका में इंडियाज़ गॉट लेटेंट के होस्ट समय रैना और सोशल मीडिया पर प्रभावशाली लोगों, विपुन गोयल, बलराज परमजीत सिंह घई, सोनाली ठक्कर और निशांत जगदीश तंवर के चुटकुलों की निंदा की गई थी।
अदालत ने उन्हें भविष्य में अपने आचरण के प्रति सावधान रहने का निर्देश दिया। पीठ ने हास्य कलाकार रैना और अन्य को दिव्यांग व्यक्तियों, विशेष रूप से स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए धन जुटाने के लिए दिव्यांग व्यक्तियों की सफलता की कहानियों पर प्रत्येक माह दो कार्यक्रम या शो आयोजित करने का भी निर्देश दिया।