सर्वोच्च न्यायालय आज संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए संदर्भ पर राय देगा। इसमें शीर्ष अदालत से इस बारे में राय मांगी गई थी कि क्या संवैधानिक रूप से निर्धारित समय सीमा न होने के कारण राज्य विधानसभाओं से पारित विधेयकों पर कार्रवाई के लिए राज्यपालों पर समयसीमा निर्धारित की जा सकती हैं।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली एक संविधानिक पीठ ने 11 सितंबर को केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के साथ-साथ तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, पंजाब और हिमाचल प्रदेश सहित विपक्षी शासित राज्यों की ओर से 10 दिन तक मौखिक दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इन राज्यों ने राष्ट्रपति के संदर्भ का विरोध किया था।