भारत सरकार की ओर से गठित संयुक्त संसदीय समिति ने उत्तराखंड समेत सभी राज्यों से छह महीने के भीतर ‘‘एक देश, एक चुनाव‘‘ पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। समिति के अध्यक्ष पीपी चैधरी ने बताया कि यह मुद्दा देशहित से जुड़ा है और सभी राज्यों से इसके प्रत्यक्ष और परोक्ष लाभ-हानि पर अध्ययन कर रिपोर्ट देने को कहा गया है।
संविधान (129 वां संशोधन) विधेयक 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर समिति की दो दिवसीय बैठक कल देहरादून में संपन्न हुई, जिसमें उत्तराखंड और महाराष्ट्र से फीडबैक लिया गया। पीपी चौधरी ने बताया कि वर्ष 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे, लेकिन बाद में यह क्रम टूटा। वर्ष 1994 से इसे दोबारा शुरू करने की कोशिशें हुईं, लेकिन सफलता नहीं मिली।
उन्होंने बताया कि समिति पर कोई समय सीमा तय नहीं की गई है और किसी जल्दबाजी के बजाय ठोस कार्य पर ध्यान दिया जा रहा है।
उन्होंने दावा किया कि यदि देशभर में एक साथ चुनाव होते हैं तो इससे अर्थव्यवस्था को पांच लाख करोड़ रुपये का लाभ होगा, जो जीडीपी का लगभग एक दशमलव छह प्रतिशत होगा। चुनावों के दौरान बड़ी संख्या में श्रमिकों के आवागमन से उद्योगों पर पड़ने वाले असर का भी उन्होंने उल्लेख किया। समिति ने सुझाव दिया है कि अप्रैल-मई का समय एक साथ चुनाव कराने के लिए उपयुक्त हो सकता है।