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अगस्त 20, 2025 7:19 अपराह्न

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संसद ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित कर दिया है

संसद ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित कर दिया है। राज्यसभा ने आज इसे मंजूरी दे दी।

    केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विधेयक पर चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार नए संस्थान बनाने और देश के विद्यार्थियों को अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार ने भारतीय प्रबंधन संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया है। श्री प्रधान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 2013 में आईआईएम में केवल तीन हजार पांच सौ विदयार्थी थे और 2024-25 में नौ हजार आठ सौ विदयार्थी थे। उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर अपने शासनकाल में असम की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। श्री प्रधान ने कहा कि मोदी सरकार हमेशा सभी क्षेत्रों और राज्यों के संतुलित विकास पर ध्यान केंद्रित करती है।

    इससे पहले, विधेयक पेश करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि यह विधेयक भारतीय प्रबंधन संस्थान अधिनियम, 2017 में और संशोधन करेगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में असम के गुवाहाटी में भारतीय प्रबंधन संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव  है, जो देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। उन्‍होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्तमान में देश में 21 आईआईएम कार्यरत हैं और वे शिक्षा क्षेत्र में एक ब्रांड बन गए हैं। उन्होंने कहा कि विधेयक के प्रावधानों के तहत, आईआईएम गुवाहाटी को पांच सौ 55 करोड़ रुपये का कोष प्राप्त होगा और इस संस्थान में इसी शैक्षणिक वर्ष में प्रवेश शुरू हो जाएगा। श्री प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूर्वोत्तर के युवाओं के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आईआईएम ने न केवल भारत में प्रतिष्ठा बनाई है, बल्कि दुनिया में भी अपनी छाप छोड़ी है। शिक्षा मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले ग्यारह वर्षों में नौ नए आईआईएम खोले गए हैं।

    भाजपा की गीता उर्फ चंद्रप्रभा चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में मेडिकल कॉलेजों, आईआईटी और आईआईएम की संख्या दोगुनी हो गई है। उन्होंने कहा कि पिछले ग्‍यारह वर्षों में भारतीय शिक्षा प्रणाली नई ऊंचाइयों पर पहुंची है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार के सकारात्मक प्रयासों के कारण, इस वर्ष विश्व की विश्वविद्यालय रैंकिंग में देशभर के 46 उच्च शिक्षण संस्थानों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि दस साल पहले केवल नौ शैक्षणिक संस्थान ही इस रैंकिंग में शामिल थे।