संयुक्त संसदीय समिति की वक्फ-संशोधन विधेयक, 2024 पर विभिन्न हितधारकों से विचार और सुझाव लेने के लिए आज नई दिल्ली में बैठक हुई। लोकसभा सदस्य जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में समिति ने लोगों, गैर सरकारी संगठनों, विशेषज्ञों और संस्थानों सहित हितधारकों से विचार और सुझाव आमंत्रित किए थे।
समिति की पहली बैठक 22 अगस्त को हुई थी। 31 सदस्यीय समिति में 21 सदस्य लोकसभा के और 10 सदस्य राज्यसभा के हैं। विधेयक का उद्देश्य कमियों को दूर करना और वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन की दक्षता को बढ़ाना है। विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करने का प्रावधान है। यह जिलाधिकारी या उप-जिलाधिकारी पद के किसी अन्य अधिकारी को सर्वेक्षण आयुक्त के कार्य भी प्रदान करता है। यह बोहरा और आगाखानी समुदाय के लिए एक अलग वक्फ बोर्ड की स्थापना और मुस्लिम समुदायों के बीच शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी और अन्य पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व का भी प्रावधान करता है। विधेयक में दो सदस्यों वाले ट्रिब्यूनल ढांचे में सुधार करने और ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ नब्बे दिनों की निर्दिष्ट अवधि के भीतर उच्च न्यायालय में अपील करने का भी प्रावधान है।
वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 का प्रारूप लोकसभा की वेबसाइट पर हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध है। बजट सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किए गए इस विधेयक को जांच के लिए संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया था।