संयुक्त राष्ट्र ने मानव विकास सूचकांक में भारत के आगे आने का स्वागत किया है। इसने समग्र विकास को निर्धारित करने वाले महत्वपूर्ण मानदंडों पर भारत की प्रगति की सराहना की है। संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट जारी होने के बाद संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की प्रतिनिधि सुश्री कैटलीन वाईजेन ने कहा कि भारत ने मानव विकास क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज कराई है। उन्होंने भारत में नागरिकों की जीवन गुणवत्ता में सुधार के जारी प्रयासों, विशेषकर विशेषकर महिला नीत विकास की दिशा में प्रयासों का उल्लेख किया।
मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि 2022 में भारत में औसत आयु बढकर 67 दशमलव सात वर्ष हो गई है, जबकि इससे पिछले वर्ष यह 62 दशमलव सात वर्ष थी। इसके अलावा भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय बढकर छह हजार 951 डॉलर हो गई है। 12 महीनो में इसमें छह दशमलव तीन प्रतिशत का उछाल आया है।
वर्ष 2022 में भारत ने शून्य दशमलव छह-चार-चार का मानव संसाधन सूचकांक स्कोर हासिल किया और 2023-24 की रिपोर्ट में 193 देशों में 134वें स्थान पर आ गया। वर्ष 1990 में यह स्कोर शून्य दशमलव चार-तीन-चार था। इस प्रकार इसमें 48 दशमलव 4 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज हुई है।
रिपोर्ट के लिए मानव विकास के तीन मूल पक्षों में औसत उपलब्धियों का आकलन किया जाता है- दीर्घ और स्वस्थ जीवन, शिक्षा की उपलब्धता और बेहतर जीवन स्तर। स्त्री-पुरूष समानता सूचकांक में भारत 166 देशों में 108वें स्थान पर है। सरकार ने इस उपलब्धि का श्रेय नीतिगत प्रयासों से महिला सशक्तिकरण को दिया है।
हालांकि वैश्विक मानव विकास सूचकांक में लगातार दूसरे वर्ष गिरावट रही है। संयुक्त राष्ट्र ने धनी और निर्धन देशों के बीच बढ रही खाई पर चिंता व्यक्त की है और इसे कोविड महामारी संकट का असर बताया है।