संयुक्त अरब अमीरात के थल सेना कमांडर, मेजर जनरल यूसुफ़ मायूफ़ सईद अल हल्लामी आज से भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय सैन्य सहयोग को मज़बूत करना और सहयोग के नए क्षेत्रों, विशेष रूप से प्रशिक्षण, क्षमता संवर्धन और रक्षा प्रौद्योगिकी, का पता लगाना है।
मंत्रालय के अनुसार श्री हल्लामी का औपचारिक स्वागत किया गया और उन्हें ऑपरेशन सिंदूर, भारतीय सेना की संचालन पहलों और सूचना प्रणाली महानिदेशालय तथा सेना डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा प्रस्तुत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-एआई के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।
अपने इस आगमन के अवसर पर मेजर जनरल हल्लामी कल नई दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे और रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन-डीआरडीओ मुख्यालय का दौरा करेंगे। वे भारतीय रक्षा उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ आपसी हितों के क्षेत्रों पर चर्चा भी करेंगे।
उनकी यह यात्रा भारत-संयुक्त अरब अमीरात रक्षा संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और दोनों देशों के बीच गहरी होती साझेदारी को दर्शाती है। इससे रक्षा सहयोग को और सुदृढ़ किया जाएगा, संयुक्त पहल को बढ़ावा मिलेगा तथा सैन्य सहभागिता और तकनीकी सहयोग में वृद्धि के माध्यम से क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा में योगदान मिलेगा।
। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय सैन्य सहयोग को मज़बूत करना और सहयोग के नए क्षेत्रों, विशेष रूप से प्रशिक्षण, क्षमता संवर्धन और रक्षा प्रौद्योगिकी, का पता लगाना है।
मंत्रालय के अनुसार श्री हल्लामी का औपचारिक स्वागत किया गया और उन्हें ऑपरेशन सिंदूर, भारतीय सेना की संचालन पहलों और सूचना प्रणाली महानिदेशालय तथा सेना डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा प्रस्तुत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-एआई के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।
अपने इस आगमन के अवसर पर मेजर जनरल हल्लामी कल नई दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे और रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन-डीआरडीओ मुख्यालय का दौरा करेंगे। वे भारतीय रक्षा उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ आपसी हितों के क्षेत्रों पर चर्चा भी करेंगे।
उनकी यह यात्रा भारत-संयुक्त अरब अमीरात रक्षा संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और दोनों देशों के बीच गहरी होती साझेदारी को दर्शाती है। इससे रक्षा सहयोग को और सुदृढ़ किया जाएगा, संयुक्त पहल को बढ़ावा मिलेगा तथा सैन्य सहभागिता और तकनीकी सहयोग में वृद्धि के माध्यम से क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा में योगदान मिलेगा।