हिमाचल प्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद् (हिमकोस्ट) द्वारा शिमला के इंदिरा गांधी खेल परिसर में 12 जून से शुरू हुई पंजीकृत एवं संभावित जीआई उत्पादों की प्रदर्शनी आज संपन्न हुई। समापन अवसर पर हिमकोस्ट के सदस्य सचिव सुरेश चंद अत्री ने मुख्य तौर पर शिरकत की।इस प्रदर्शनी में प्रदेश के लगभग 15 पंजीकृत एवं संभावित जी आई उत्पाद शामिल थे जिनमें कुल्लू शाल, कागडा चाय,किन्नौरी शाल, कांगड़ा पेंटिंग, हिमाचली कालाजीरा, हिमाचली चुल्ली तेल,चम्बा चप्पल, लाहुली जुराबे और दस्ताने इत्यादि पंजीकृत हैं।
इस मौके पर सुरेश चन्द अत्री ने बताया कि भौगोलिक संकेत (जी आई एकचिन्ह है जो उन उत्पादों पर लगाया जाता है जिन उत्पादों की एक विशिष्ट भगौलिक उत्पति होती है। उन्होंने बताया कि संभावित जी आई उत्पादों को जी आई पंजीकरण के लिए चेन्नई मुख्य कार्यालय से शीघ्र कारवाई करने के लिए आग्रह किया जाएगा।
किन्नौरी आभूषण,स्पीति छ्मी, भरमोर राजमा,पाँगी की ठगी, चम्बा चूक, लाल चावल, डंगरा,सिरमौरी लोइया ,करसोग कुल्थी ,हिमाचली धाम,हिमाचली संगीत वाद्य यंत्र, किन्नौरी सेब, सेपुबड़ी संभावित उत्पादों को जी आई के रूप में पंजीकरण के लिए पहचान की गई है।