उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि शिक्षा के व्यवसायीकरण से शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। श्री धनखड़ आज राजस्थान के सीकर में एक निजी शिक्षण संस्थान के समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा का व्यवसाय बन जाना देश के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा आय का साधन नहीं है, बल्कि यह त्याग, दान और स्वस्थ समाज के निर्माण का माध्यम है। श्री धनखड़ ने इस बात पर अफसोस जताया कि आज शिक्षा एक ‘वस्तु’ बन गई है जिसे लाभ के लिए बेचा जा रहा है और इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि उद्योग, अनुसंधान और नवाचार के सबसे बड़े लाभार्थी हैं। श्री धनखड़ ने कहा कि ब्रिटिश शासन के तहत भारतीय शिक्षा संस्थानों को नष्ट कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि छात्र शिक्षा के लिए विदेश जाना चाहते हैं लेकिन भारत में कई अवसर हैं और संस्थानों तथा उद्योग जगत के नेताओं को उन्हें इसके बारे में जागरूक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे प्रतिभा पलायन और विदेशी मुद्रा की हानि रुकेगी। उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भी सराहना की।