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सितम्बर 1, 2025 9:21 अपराह्न

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शंघाई सहयोग संगठन-एससीओ के सदस्य देशों ने जम्‍मू-कश्‍मीर में 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले की स्पष्ट रूप से निंदा की है

शंघाई सहयोग संगठन-एससीओ के सदस्य देशों ने जम्‍मू-कश्‍मीर में 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले की स्पष्ट रूप से निंदा की है। संगठन ने पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की और दोषियों को सजा दिलाने की मांग की। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है। चीन के तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन के समापन पर, तियानजिन घोषणापत्र को अपनाया गया। इसमें आतंकवाद के विरुद्ध एकता का एक व्यापक वक्तव्य दिया गया और क्षेत्रीय शांति तथा विकास में भारत के योगदान को स्वीकार किया गया। घोषणापत्र में आतंक-रोधी प्रयासों में दोहरे मानदंडों को खारिज किया गया और आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधियों को रोकने के लिए वैश्विक सहयोग के महत्व पर बल दिया गया।

    तियानजिन घोषणापत्र ने आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के विरुद्ध एक सशक्त तथा एकीकृत संदेश भी दिया। इसने भारत के “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” के वैश्विक दृष्टिकोण को मान्यता दी और समावेशी तथा टिकाऊ विकास को प्रोत्‍साहन देने में देश के नेतृत्व की पुष्टि की।

    शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय स्थिरता, सुरक्षा और टिकाऊ प्रगति पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने का उल्‍लेख किया गया। शंघाई भावना को कायम रखते हुए: गतिशील एससीओ विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में 20 से अधिक देशों और 10 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के नेता इकट्ठे हुए।

    25वां शिखर सम्मेलन क्षेत्रीय सहयोग और टिकाऊ विकास में प्रमुख उपलब्धि साबित हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रिय भागीदारी और रणनीतिक भागीदारी ने एससीओ के उभरते एजेंडे में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में भारत की भूमिका को और मज़बूत किया।

    शिखर सम्मेलन में, नेताओं ने सुरक्षा, संपर्क, आतंकरोधी, स्थिरता और सांस्कृतिक संबंधों पर केंद्रित दस-वर्षीय विकास रणनीति अपनाकर एससीओ के 25 वर्ष पूरे होने का उत्‍सव मनाया। चीन की अध्यक्षता में, 2025 को “टिकाऊ विकास का एससीओ वर्ष” घोषित किया गया।

    शिखर सम्मेलन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रूस के राष्ट्रपति व्‍लादिमिर पुतिन से भेंट की। दोनों नेताओं ने अपनी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के अंतर्गत ऊर्जा, अर्थव्यवस्था और रणनीति के क्षेत्रों में संबंधों की समीक्षा की। उन्‍होंने यूक्रेन संघर्ष पर भी चर्चा की, जिसमें श्री मोदी ने बातचीत के माध्यम से शांति पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने इस वर्ष के अंत में होने वाले 23वें वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन में पुतिन की मेज़बानी की भी उत्‍सुकता व्‍यक्‍त की।

    प्रधानमंत्री मोदी ने कल चीन के राष्ट्रपति षी चिनफिंग से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने कहा कि भारत और चीन विकास साझेदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं। श्री मोदी ने मज़बूत संबंधों के लिए सीमा शांति के महत्व पर बल दिया। उन्होंने सैनिकों की वापसी में हुई प्रगति पर बल दिया और एक निष्पक्ष सीमा समाधान की दिशा में काम करने पर सहमति व्‍यक्‍त की। चर्चा में लोगों के बीच आपसी आदान-प्रदान को पुनर्जीवित करने और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने पर भी चर्चा हुई।

    प्रधानमंत्री मोदी ने म्यामां के वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग से भी मुलाकात की। दोनों ने एक्ट ईस्ट नीति के अंतर्गत संपर्क, रक्षा, सुरक्षा और क्षेत्रीय एकीकरण पर चर्चा की। भारत ने म्यामां के विकास के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की।