विश्व बैंक ने पिछले दशक में भारत में डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के व्यापक प्रभाव की प्रशंसा की

वित्‍तीय समावेशन के लिए विश्‍व बैंक से तैयार जी-20 वैश्विक भागीदारी दस्‍तावेज में पिछले दशक में, भारत में डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे-डीपीआई के व्यापक प्रभाव के प्रशंसा की गई है।

डीपीआई की सराहना करते हुए विश्‍व बैंक दस्‍तावेज में कहा गया है कि भारत ने केवल छह वर्षों में वह उपलब्धि हासिल की है, जिसे प्राप्‍त करने में लगभग पांच दशक लगते। दस्‍तावेज में डीपीआई के विस्‍तार के लिए मोदी सरकार के सफल उपायों तथा सरकारी नीति और विनियमों की महत्‍वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जनधन-आधार-मोबाइल की संयुक्त क्षमता ने वित्‍तीय समावेशन दर को 2008 के 25 प्रतिशत से बढ़ाकर पिछले छह वर्षों में 80 प्रतिशत से अधिक कर दिया है, जबकि सामान्य स्थिति में यह उपलब्धि हासिल करने में 47 वर्षों का समय लगता।

दस्‍तावेज में कहा गया है कि प्रधानमंत्री जनधन योजना खातों की संख्या, योजना शुरु होने के बाद से बढ़कर लगभग तिगुनी हो गयी है। मार्च 2015 में इन खातों की संख्या 14 करोड 72 लाख थी, जो जून 2022 में बढ़कर 46 करोड बीस लाख हो गई। दस्‍तावेज में उल्लेख है कि जनधन योजना ने कम आय वर्ग की महिलाओं को बचत के लिए प्रोत्साहित किया है।

दस्‍तावेज के अनुसार पिछले दशक में भारत ने डीपीआई को व्यापक रूप देकर सरकार से जनता तक विश्‍व का सबसे बडा डिजिटल संपर्क स्थापित किया है। इससे 312 प्रमुख योजनाओं के जरिये 53 केंद्रीय मंत्रालयों से लगभग 361 अरब डॉलर की राशि सीधे लाभार्थियों तक अंतरित की गई है।

वित्तीय वर्ष 2022-23 में यूपीआई लेन-देन का कुल मूल्‍य भारत के सकल घरेलू उत्‍पाद का लगभग 50 प्रतिशत रहा। भारत में डीपीआई ने व्यवसाय संचालन में जटिलता, लागत और समय में कमी लाकर निजी संगठनों की क्षमता में भी बढ़ोतरी की है।

सर्वाधिक पठित
सम्पूर्ण जानकारी arrow-right

कोई पोस्ट नहीं मिला