विश्व बैंक ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से अत्यधिक ऋण लेने के बावजूद पाकिस्तान गरीबी कम करने में विफल रहा है। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि विकास के वर्तमान मॉडल से गरीबों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है और हेड काउंट रेश्यो यानि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली आबादी का अनुपात पिछले आठ वर्षों में उच्चतम स्तर 25 दशमलव तीन प्रतिशत पर पहुँच गया है।
गरीबी कम करने के लिए ग्रामीण विकास की बजाय पाकिस्तान सरकार रक्षा व्यय बढ़ाने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार देश का महत्वाकांक्षी मध्यम वर्ग भी आर्थिक सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड महामारी, आर्थिक अस्थिरता, विनाशकारी बाढ़ और रिकॉर्ड-उच्च मुद्रास्फीति जैसे जटिल संकटों ने व्यवस्थागत कमजोरियों को उजागर किया है। लोग कम उत्पादकता वाली गतिविधियों में लगे हैं और इन चुनौतियों का सामना करने में असमर्थ हैं।