विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और जर्मन विदेश मंत्री जोहान डेविड वाडेफुल ने आज नई दिल्ली में भारत-जर्मनी सहयोग और यूरोपीय संघ के साथ अपने संबंधों पर सार्थक चर्चा की। दोनों पक्षों ने राजनीतिक सहयोग, सुरक्षा, रक्षा, जलवायु, भावी तकनीकों और लोगों के बीच परस्पर आदान-प्रदान पर विचारों का आदान-प्रदान किया। डॉ. जयशंकर ने जर्मनी के विदेश मंत्री के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय, वैश्विक और बहुपक्षीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में जर्मनी द्वारा दिखाई गई समझ को बहुत महत्व देता है। उन्होंने कहा कि श्री वाडेफुल ने आतंकवादी हमलों से भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का स्पष्ट रूप से समर्थन किया है। डॉ. जयशंकर ने यह भी कहा कि पिछले वर्ष भारत और जर्मनी के बीच परस्पर व्यापार लगभग 50 बिलियन यूरो तक पहुँच गया। उन्होंने कहा कि जर्मन विदेश मंत्री इस व्यापार को दोगुना करने की क्षमता को लेकर आश्वस्त हैं। व्यापार सुगमता में निरंतर सुधार के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराते हुए, डॉ. जयशंकर ने श्री वाडेफुल को आश्वासन दिया कि भारत में प्रवेश या संचालन को लेकर जर्मन कंपनियों की किसी भी चिंता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
भारत और जर्मनी के वैज्ञानिक सहयोग के 50 वर्ष पूरे होने पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जयशंकर ने इस साझेदारी को और मजबूत बनाने तथा इसे उद्योग जगत से और अधिक निकटता से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष सहयोग की सक्रिय खोज के महत्व पर भी बल दिया। डॉ. जयशंकर ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच चर्चा में हरित हाइड्रोजन, हरित ऊर्जा और जैव ईंधन जैसे क्षेत्रों पर भी चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष विदयार्थियों के आदान-प्रदान को और बढ़ावा देने के लिए स्कूल तथा कॉलेज की छोटी यात्राओं के लिए निःशुल्क वीज़ा पर भी सहमत हुए। उन्होंने यह भी कहा कि रणनीतिक स्वायत्तता वाला एक बहुध्रुवीय विश्व आज की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए सबसे उपयुक्त है।
जर्मन विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल ने कहा कि उन्होंने एक नवोन्मेषी शक्ति और प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में भारत की सराहना की। उन्होंने कहा कि एक उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति, सबसे अधिक आबादी वाले देश और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत का, दुनिया के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में विशेष महत्व है। श्री वाडेफुल ने आगे कहा कि भारत और जर्मनी की अर्थव्यवस्थाओं को अपने सहयोग को और बढ़ाने से बहुत कुछ हासिल होगा। उन्होंने दोहराया कि जब भारत को आतंकवाद से अपनी रक्षा करनी होती है, तो जर्मनी उसके पक्ष में मजबूती से खड़ा रहता है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि जर्मनी, भारत और कई अन्य देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था की रक्षा की आवश्यकता पर सहमत है।
इससे पहले, अपनी शुरूआती टिप्पणी में डॉ. जयशंकर ने यूरोपीय संघ के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने और मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता में तेजी लाने के लिए जर्मनी से सहयोग माँगा। उन्होंने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न आयामों पर गहन चर्चा होने की आशा व्यक्त की।
श्री वाडेफुल अपनी दो दिन की सरकारी भारत यात्रा के तहत बेंगलुरु में अपने कार्यक्रम के बाद कल रात राष्ट्रीय राजधानी पहुँचे।