विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री ने आज मॉस्को में बैठक के दौरान द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण पहलुओं की समीक्षा की। वार्ता के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में, डॉ. जयशंकर ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत और रूस के बीच संबंध, दुनिया के सब देशों में से सबसे अधिक मजबूत रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि भू-राजनीतिक अभिसरण, नेतृत्व संपर्क और जनभावनाएं भारत-रूस साझेदारी के प्रमुख प्रेरक हैं।
दोनों मंत्रियों ने रूस को भारत से निर्यात बढ़ाने सहित, संतुलित और सतत तरीके से द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार करने की साझा महत्वाकांक्षा की पुष्टि की। डॉ. जयशंकर ने कहा कि इसके लिए गैर-शुल्क बाधाओं और नियामक बाधाओं को शीघ्रता से दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में रूस को भारतीय निर्यात बढ़ाने से वर्तमान असंतुलन को दूर करने में मदद मिलेगी। उर्वरकों की दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित करने पर भी बातचीत की गई। डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारतीय कुशल श्रमिक, विशेष रूप से आईटी, निर्माण और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में, रूस में श्रम आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं और सहयोग को गहरा कर सकते हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि व्यापार और निवेश के माध्यम से ऊर्जा सहयोग को बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है।
दोनों मंत्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक पूर्वी समुद्री गलियारा और उत्तरी समुद्री मार्ग में सहयोग सहित संपर्क पहलों पर भी बातचीत की। डॉ. जयशंकर ने कहा कि ये गलियारे आर्थिक संबंधों को गहरा करने, पारगमन समय को कम करने और यूरेशिया तथा उसके बाहर व्यापार पहुंच का विस्तार करने में सहायक होंगे। उन्होंने कहा कि रक्षा और सैन्य तकनीकी सहयोग भी मजबूत बना हुआ है, और रूस संयुक्त उत्पादन तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित भारत के मेक इन इंडिया लक्ष्यों का समर्थन करता है।
विदेश मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कज़ान और येकातेरिनबर्ग में दो नए भारतीय वाणिज्य दूतावास खोलने की प्रक्रिया में तेज़ी लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि रूसी सेना में सेवारत भारतीयों का मुद्दा भी उठाया गया। डॉक्टर जयशंकर ने आशा व्यक्त की कि रूसी पक्ष इन मामलों का शीघ्र समाधान करेगा। वैश्विक और बहुपक्षीय सहयोग पर, उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने वैश्विक शासन में सुधार के लिए साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की। विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने यूक्रेन, पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान के घटनाक्रमों पर चर्चा की और कहा कि भारत का दृष्टिकोण मतभेदों को सुलझाने के लिए संवाद और कूटनीति को आवश्यक मानता है। आतंकवाद पर, दोनों पक्षों ने इसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ संयुक्त रूप से लड़ने का संकल्प लिया। विदेश मंत्री ने आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने की नीति अपनाने और अपने नागरिकों की इससे रक्षा करने की भारत के संप्रभु अधिकार के प्रति उसके दृढ़ संकल्प से अवगत कराया।
इससे पहले, डॉ. जयशंकर ने अपनी शुरुआती टिप्पणी में कहा कि यह बैठक राजनीतिक संबंधों पर चर्चा और द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा का एक अवसर है। उन्होंने कहा कि आज की उनकी बैठक का वैश्विक संदर्भ उभरती भू-राजनीतिक स्थिति, बदलते आर्थिक तथा व्यापारिक परिदृश्य और अधिकतम अनुकूलता के लिए साझा लक्ष्यों पर केंद्रित है। विदेश मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इस बैठक में विचारों का आदान-प्रदान भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन को यथासंभव परिणामोन्मुखी बनाने में योगदान देगा।