विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने कहा है कि भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है और इसे ऊर्जा के क्षेत्र में व्यापक संबंधों को विकसित करना होगा।
कल मुंबई में मीडिया के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के तमाम फायदों की बातें सुनने के बाद, आज दुनिया भर में औद्योगिक नीतियों की सच्चाई, निर्यात पर नियंत्रण तथा शुल्क को लेकर स्पर्धा की स्थिति सबके सामने है।
डॉक्टर जयशंकर ने कहा कि आने वाले दशकों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना भारत की कूटनीति का एक प्रमुख उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में, लाभकारी स्थिति की पहचान करना और उसे अपनाना ज़रूरी है।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत पारंपरिक जीवाश्म ईँधन से आगे बढ़ रहा है और बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर को अपनाने पर काम रहा है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल देश को समग्र कार्यनीति पर काम करना होता है।
विदेश मंत्री ने कहा कि सबका साथ सबका विकास का विचार हमारी विदेश नीति से भी जुड़ा है। उन्होंने कहा कि स्थान और प्रवाह-दोनों लिहाज से व्यवस्था बदल रही है और भारत को इसका हरसंभव लाभ लेने के प्रयास करने होंगे।
डाक्टर जयशंकर ने कहा कि प्रतिरक्षा और सुरक्षा जैसे संवेदनशील मामलों में भी भारत की कूटनीति यह सुनिश्चित करने की रही है कि हमारे सशस्त्र बल और हमारा कारोबार अधिकाधिक पक्षों के साथ जुड़े रहें।