विजय दशमी का पर्व आज पूरे प्रदेश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में सामाजिक समरसता की प्रतीक परम्परागत विजय शोभा यात्रा में षामिल हुए। खासतौर से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने शोभा यात्रा का षानदार ढंग से स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इस तरह के आयोजन अपनी विरासत से जोड़ने का अवसर प्रदान करते हैं।
आज से हजारों वर्षों पहले दुनिया ने जब सभ्यता नहीं सीखी थी दुनिया में जब मानवीय लक्षण नहीं थे तब भारत में एक सभ्य समाज निवास करता था। ये रामायण काल और वैदिक काल इस बात का उदाहरण देता है।
महाभारत काल इस बात का उदाहरण प्रस्तुत करता है और उस उदाहररण के साथ आज आप अपनी विरासत के साथ जुड़ कर के विजयादशमी जैसे पर्व में। गोरखपुर में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के राज्याभिषेक के साथ इस पौराणिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए कार्यक्रम के साथ जुड़ रहे हैं।
यह शोभा यात्रा हर साल गोरक्ष पीठाधीश्वर की अगुवाई में निकाली जाती है। इससे पहले श्री योगी गोरक्षनाथ मंदिर में तिलकोत्सव समारोह भाग लिया, जिसमें साधु-संतों ने श्री योगी का तिलक लगाकर सम्मान किया और नाथ सम्प्रदाय की विशेष परम्परा के अनुसार उन्हें नमन किया। इस दौरान मंदिर में विषेश पूजन भी किया गया।
इस बीच प्रदेश के सभी जिलों के शहरी और ग्रामीण इलाकों में बुराई के प्रतीक रावण के पुतलों का दहन किया जा रहा है। राम नगरी अयोध्या में विजय दशमी का विशेष उल्लास है। जिले के अनेक क्षेत्रों में रामलीला का मंचन हो रहा है।
जनपद के 110 और अयोध्या धाम के साथ ही अयोध्या नगर क्षेत्र में 10 स्थान पर रामलीला का मंचन हो रहा है,आज देर शाम रावण वध की लीला का मंचन किया जाएगा, दहन के लिए रावण के पुतले का निर्माण विगत वर्षों की भांति कारीगर अजमत उल्लाह ने अपने पारिवारिक जनों के साथ किया, उनका कहना है कि इससे हमें भी एक धार्मिक परंपरा का निर्वहन करने का अवसर मिलता है,फिल्मी सितारों वाली अयोध्या की रामलीला के मंचन में इस बार सीता की मुख्य भूमिका रिया सिंघा मिस यूनिवर्स ने निभाया, जबकि विभीषण की भूमिका रजामुराद और शिव की भूमिका बिंदु दारा सिंह ने निभाया,उधर 8 किलोमीटर लंबी मां दुर्गा विसर्जन शोभायात्रा गुप्तार घाट स्थित निर्मली कुंड धीरे-धीरे पहुंच रही है, जहां विसर्जन देर रात्रि तक चलता रहेगा।
शिव नगरी वाराणसी में भी दषहरा पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। रावण के पुतलों के दहन के साथ-साथ रामचरित मानस पर आधारित नाटय प्रस्तुति भी गई है।
बनारस के रेल इंजन कारखाना में 75 फुट के रावण, 65 फुट के कुंभकरण 60 फुट की मेघनाथ के पुतला दहन को देखने के लिए काफी संख्या में भीड़ उमड़ी रही। इस आयोजन की शुरुआत में रामचरित मानस पर आधारित एक बेहद रोचक नाट्य प्रस्तुति की गई। इस अद्भुत कार्यक्रम में आकर्षक आतिशबाजी भी हुई जिसने, दर्शकों का मन मोह लिया।
इसके अलावा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ मलदहिया चौराहे पर भी 35 फुट के रावण का दहन किया गया। इसी के साथ ही वाराणसी के विभिन्न स्थानों पर चल रही रामलीला का समापन भी हुआ, इन रामलीलाओं में गंगाजमुनी तहजीब का परिचय देते हुए मुस्लिम समाज के लोग भी काफी संख्या में अपना योगदान देते है। दशहरा पर्व के समापन के साथ ही मिनी बंगाल के रूप में विख्यात काशी नगरी का नवरात्र का मेला भी समाप्त हुआ।
कानपुर नगर के शिवाला में लंकेश रावण का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जो सिर्फ दशहरे के दिन ही खुलता है। सौ वर्श पुराने इस दशानन मंदिर के कपाट सुबह खोले जाते हैं और विधि विधान से रावण का जलाभिशेक, श्रृंगार और पूजन किया जाता है।
इस बीच प्रदेश के सभी जिलों में दुर्गा प्रतिमाओं का विजर्सन शुरू हो गया है। लखनऊ में प्रतिमाओं का विजर्सन गोमती नदी के तट पर स्थित झूलेलाल वाटिका में बनाये गये कृत्रिम कुंड में किया जा रहा है।
वहीं ऐशबाग, डालीगंज, अलीगंज, महानगर, कल्याणपुर और पंतनगर रामलीला ग्राउंड में रावण के पुतलों का दहन किया जा रहा है। इस अवसर पर जगह-जगह दशहरा मेलों का भी आयोजन किया गया।