दिसम्बर 8, 2025 6:39 पूर्वाह्न

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‘विकास भी, विरासत भी’ भारत की सांस्कृतिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है: प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत के लिए विरासत मात्र पुरातन के प्रति मोह नहीं, बल्कि ज्ञान, संस्कृति और सामाजिक मूल्यों की अखंड धारा का प्रतीक रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात नई दिल्ली में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए यूनेस्को की अंतरसरकारी समिति के 20वें सत्र के उद्घाटन समारोह में अपने संदेश में कही।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत का ‘विकास भी, विरासत भी’ का नारा यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता है कि आधुनिकीकरण और शहरीकरण सांस्कृतिक जड़ों को मिटाने के बजाय संस्कृति को मज़बूत करे। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत यह सुनिश्चित कर रहा है कि कोई भी परंपरा, कोई भी कलाकार और कोई भी समुदाय अनदेखा या बिना समर्थन के न रहे।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अंतर-सरकारी समिति के 20वें सत्र की मेज़बानी करना भारत के लिए बहुत गर्व का क्षण है और कहा कि यह सत्र प्राचीन विरासत और आधुनिक आकांक्षाओं के बीच एक सेतु का काम करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सभ्यता की यात्रा इस समझ से बनी है कि संस्कृति सिर्फ़ स्मारकों या पांडुलिपियों से समृद्ध नहीं होती, बल्कि यह लोगों की रोज़मर्रा की अभिव्यक्तियों जैसे त्योहारों, रीति-रिवाजों, कलाओं और शिल्प कौशल में फलती-फूलती है।

उन्होंने कहा कि अमूर्त विरासत समाजों की नैतिक और भावनात्मक यादों को सहेजती है, पहचान बनाती है, सद्भाव को बढ़ावा देती है, अपनेपन की भावना को मज़बूत करती है और पारंपरिक ज्ञान को आगे बढ़ाती है जो किताबों में नहीं मिल सकता।

प्रधानमंत्री ने आगे बताया कि यूनेस्को ने अमूर्त विरासत की सुरक्षा के लिए एक साझा वैश्विक ढांचा बनाने में एक बदलाव लाने वाली भूमिका निभाई है और भारत को गर्व है कि उसके कई तत्व यूनेस्को की सूची में शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यूनेस्को 2003 कन्वेंशन ने वैश्विक ज़िम्मेदारी की भावना पैदा की और समिति के काम ने उन समुदायों को पहचान और सम्मान दिया जिनकी परंपराएं मानव रचनात्मकता की रीढ़ थीं।