वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति की पहली बैठक आज नई दिल्ली में हो रही है। इस समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद जगदंबिका पाल हैं और इसमें 31 सदस्य हैं। इस समिति को लोकसभा द्वारा विधेयक की जांच करने का काम सौंपा गया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और विधि और न्याय मंत्रालय के अधिकारी सदस्यों को मसौदा कानून में प्रस्तावित विभिन्न संशोधनों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
बैठक से पहले मीडिया से बात करते हुए श्री पाल ने कहा कि वे विधेयक के प्रावधानों पर चर्चा में अल्पसंख्यक संगठनों के अधिक से अधिक लोगों को अवसर देंगे। उन्होंने कहा कि इस विधयक को लाने का सरकार का उद्देश्य यह है कि वक्फ को सौंपी गई संपत्तियों से पिछड़े मुसलमानों और महिलाओं को मदद मिले। श्री पाल ने कहा कि समिति सभी 44 संशोधनों पर चर्चा करेगी और संसद के अगले सत्र तक एक बेहतर और व्यापक कानून लाएगी।
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का उद्देश्य कमियों को दूर करते हुए वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन की दक्षता को बढ़ाना है। विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करने का प्रावधान है। यह जिलाधीश या उप-जिलाधीश स्तर के अधिकारी को सर्वेक्षण आयुक्त की जिम्मेदारी भी प्रदान करता है। इसमें केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों को व्यापक आधार वाली संस्था बनाने और मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का भी प्रावधान है। यह विधेयक बोहरा और आगा खानियों के लिए एक अलग औकाफ बोर्ड की स्थापना और मुस्लिम समुदायों के बीच शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी और अन्य पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व का भी प्रावधान करता है। विधेयक में ट्रिब्यूनल ढांचे में सुधार करते हुए उसमें दो सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान है। इसमें ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ नब्बे दिनों के अन्दर उच्च न्यायालय में अपील करने का भी प्रावधान है।