लोक मंथन के चौथे संस्करण का समापन धर्म पर आधारित ज्ञान से गहन जुड़ाव, भारत के सभ्यतागत लोकाचार को पुनः प्राप्त करने और वैश्विक चुनौतियों के प्रति अपने अनूठे दृष्टिकोण को मुखर करने के आह्वान के साथ हुआ। चार दिन के इस कार्यक्रम में दुनिया भर के बुद्धिजीवियों, सांस्कृतिक जगत के दिग्गजों और प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
उन्होंने आधुनिक युग में विश्व गुरु के रूप में भारत की भूमिका की पुष्टि की। समापन समारोह में कई केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि जहां दुनिया अपने गंतव्य पर विचार किए बिना आगे बढ़ रही है, वहीं भारत के विचारों में हमेशा एकता और अखंडता के गहरे सत्य की झलक मिली है। उन्होंने कहा कि उन लोगों को जवाब देने की कोई जरूरत नहीं है जिनके प्रयोग पिछले दो हजार वर्षों में विफल रहे हैं।
श्री भागवत ने कहा कि देश का ध्यान उन लोगों का मार्गदर्शन करने या उनका मुकाबला करने पर होना चाहिए जो झूठी कहानियों में उलझे हैं। वैश्विक मंचों पर भारत अपने पूर्वनिर्धारित मापदंडों और अपने अनूठे तरीके से काम करेगा।
इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता निर्मला सीतारमण ने ऐतिहासिक चुनौतियों के बीच अपनी एकता को बनाए रखने की भारत की बेजोड़ क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और मिस्र की मूल जनजातियों का उत्पीड़न किया गया है और वे समानता के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास और पुराण वनवासी, ग्रामवासी और नगरवासियों के एक होने की भावना का जश्न मनाते हैं। उन्होंने कहा कि समावेशिता की दृष्टि ने देश की सभ्यता को अक्षुण्ण रखा है। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता कई आक्रमणों के बावजूद बची रही है क्योंकि धर्म के सिद्धांत पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते हैं।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने स्वतंत्रता के बाद भी भारतीय इतिहास में किए गए छेड़छाड़ की चर्चा की। उन्होंने कहा कि देश के लोगों ने स्वतंत्रता के बाद अपनी जड़ों को पुनः प्राप्त करने का अवसर खो दिया। हालांकि, उन्होंने कहा कि लोग अंततः अपने मूल विचार और जीवन शैली को पुनः तलाशने के मार्ग पर चल पड़े हैं।
इस अवसर पर केंद्रीय कोयला खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोक मंथन 2024 में भागीदारी और सांस्कृतिक समृद्धि के प्रदर्शन की सराहना की। उन्होंने भारत को एकजुट करने और राष्ट्र की प्रगति के कार्य को प्रेरित करने में ऐसे मंचों के महत्व पर जोर दिया।