लोकसभा ने विकसित भारत – रोज़गार और आजीविका मिशन (ग्रामीण): विकसित भारत – जी राम जी विधेयक, 2025 पर पर आज चर्चा शुरू हुई। यह कानून बीस साल पुराने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 की जगह लेगा। इस विधेयक का उद्देश्य विकसित भारत – 2047 के राष्ट्रीय विज़न के अनुरूप एक ग्रामीण विकास ढांचा स्थापित करना है। इस विधेयक के अंतर्गत हर वित्तीय वर्ष में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक सौ पच्चीस दिनों के मज़दूरी की कानूनी गारंटी का प्रस्ताव है। इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकार 40 प्रतिशत का योगदान करेगी। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के मामले में केंद्र सरकार 90 प्रतिशत और केवल 10 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करेगी। जबकि राज्य सरकारें बेरोज़गारी भत्ता और मुआवज़ा देना जारी रखेगी। इस विधेयक में लेन-देन के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, योजना और निगरानी के लिए जियोस्पेशियल तकनीक, रियल-टाइम ट्रैकिंग के लिए मोबाइल एप्लिकेशन-आधारित डैशबोर्ड और साप्ताहिक सार्वजनिक प्रकटीकरण प्रणालियों का प्रावधान है।
इसके अंतर्गत सभी कामों को विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण आधारभूत संरचना- स्टैक में शामिल किया जाएगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में सार्वजनिक कामों के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय ढांचा तैयार होगा। जल-संबंधी कार्यों, मुख्य ग्रामीण आधारभूत संरचना, आजीविका से संबंधित आधारभूत संरचना और अत्यधिक मौसम की घटनाओं के प्रभाव को कम करने और आपदा की तैयारी के उद्देश्य से विशेष कार्यों के माध्यम से जल सुरक्षा को विषयगत प्राथमिकता दी जाएगी। यह दृष्टिकोण पूरे देश में उत्पादक, टिकाऊ, लचीली और परिवर्तनकारी ग्रामीण कार्यों का निर्माण सुनिश्चित करेगा।
लोकसभा में विकसित भारत- जी राम जी विधेयक पेश करते हुए कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह विधेयक गांवों के विकास को सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि इसमें रोज़गार के दिनों की गारंटी को 100 दिनों से बढ़ाकर 125 दिन करने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि यह महात्मा गांधी के आत्मनिर्भर, विकसित और गरीबी मुक्त गांवों के विज़न को पूरा करेगा।
इस पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के जय प्रकाश ने कहा कि जब यू पी ए के शासनकाल में संसद में राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी विधेयक पेश किया गया था, तब भारतीय जनता पार्टी ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने सभी पार्टियों की सहमति से और उनके सुझावों को ध्यान में रखते हुए इसे लाया था। उन्होंने अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार रोज़गार की गारंटी के लिए कानून लाई थी, लेकिन एन डी ए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने वाला विधेयक पास नहीं किया है। भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि महात्मा गांधी के विज़न को पूरा करने के लिए विकसित भारत- जी राम जी विधेयक लाया गया है। उन्होंने कहा कि यह रोज़गार की कानूनी गारंटी सुनिश्चित करेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के ज़रिए भ्रष्टाचार किया। इस विधेयक की आलोचना करते हुए समाजवादी पार्टी के नरेश चंद्र उत्तम पटेल ने सवाल किया कि क्या गरीब लोगों को 125 दिन का काम दिया जाएगा। उन्होंने निधि साझा तरीके पर भी सवाल उठाए और कहा कि इससे राज्यों पर वित्तीय बोझ पड़ेगा।
तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी विधेयक का उद्देश्य टिकाऊ आधारभूत संरचना बनाना था। उन्होंने एन डी ए सरकार पर आरोप लगाया कि हितधारकों से व्यापक सलाह-मशविरा किए बिना नया विधेयक लाया गया है। डी एम के पार्टी की कनिमोझी करुणानिधि ने आरोप लगाया कि विकसित भारत- जी राम जी विधेयक इंसानी गरिमा छीनता है और यह लोगों के काम करने के कानूनी अधिकार की रक्षा करने में नाकाम साबित होगा। उन्होंने सरकार द्वारा हिंदी में कानून लाने की आलोचना करते हुए सवाल किया कि सरकार तमिल, तेलुगु, कन्नड़ जैसी दक्षिण भारतीय भाषाओं में कानून क्यों नहीं लाती। जनता दल यूनाइटेड के दिलेश्वर कामैत ने कहा कि यह विधेयक महिलाओं को सशक्त बनाकर और गांवों में रोज़गार की कानूनी गारंटी सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि इसमें बेरोज़गारी भत्ता देने का प्रावधान है।
तेलुगुदेशम पार्टी के लावु श्री कृष्ण देवरायलु ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के अंतर्गत बजट आवंटन वित्तीय वर्ष 2025-26 में बढ़ाकर 86 हज़ार करोड़ रुपये कर दिया गया है।