लोकसभा में आज परमाणु ऊर्जा के स्थायी उपयोग और उन्नति विधेयक, 2025 पेश किया गया। इस का उद्देश्य परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए परमाणु ऊर्जा और आयनीकरण विकिरण का विकास करना है। यह इसके सुरक्षित उपयोग के लिए एक मजबूत नियामक ढांचा प्रदान करेगा। इसके माध्यम से परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के गठन और परमाणु ऊर्जा निवारण सलाहकार परिषद की स्थापना की जा सकेगी। यह विधेयक परमाणु दुर्घटना की स्थिति में केंद्र सरकार की जवाबदेही तय करने का भी प्रावधान करता है। केंद्र सरकार ने विधेयक के अंतर्गत अपनी जवाबदेही को पूरा करने के उद्देश्य से एक परमाणु जवाबदेही कोष स्थापित किया है। यह कानून, बोर्ड को किसी भी रेडियोधर्मी पदार्थों और विकिरण उत्पन्न करने वाले उपकरणों के निर्माण, उपयोग, निर्यात, आयात, परिवहन, हस्तांतरण को विनियमित करने में सक्षम बनाता है। इसमें केंद्र सरकार को रेडियोधर्मी पदार्थों की सुरक्षा के लिए उपायों को निर्दिष्ट करने का अधिकार दिया गया है। यह केंद्र सरकार को यूरेनियम या थोरियम की खोज के लिए अन्वेषण गतिविधियां चलाने का भी अधिकार देता है।
इस विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए, परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस विधेयक में सुरक्षा, सिक्योरिटी, सेफगार्ड, क्वालिटी एश्योरेंस और इमरजेंसी तैयारियों से जुड़े मैकेनिज्म को मज़बूत करने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इसमें शामिल प्राइवेट पार्टियों को ज़्यादा अधिकार और आज़ादी दी है। डॉ. सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया क्लीन एनर्जी की ओर बढ़ रही है और सरकार ने वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि नेट ज़ीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने, देश की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने और आत्मनिर्भर भारत के विज़न को साकार करने के लिए, फॉसिल फ्यूल और पेट्रोलियम पर निर्भरता कम करना ज़रूरी है। श्री सिंह ने कहा कि यह कोई नया विधेयक नहीं है, बल्कि सरकार ने कुछ पहलुओं में बदलाव किए हैं। यह विधेयक देश की विकास यात्रा को एक नई दिशा देगा। डॉ. सिंह ने कहा कि भारत की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने और एनर्जी मिक्स में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी को 10 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए यह विधेयक ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा, ऊर्जा का ज़्यादा भरोसेमंद स्रोत होगा।
इस विधेयक को प्रस्तुत करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रही है और सरकार ने वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि भारत की वर्तमान परमाणु ऊर्जा क्षमता 8.8 गीगावाट है, जबकि वर्ष 2014 में यह 4.4 गीगावाट थी। डॉ. सिंह ने कहा कि परमाणु ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा के अन्य स्रोतों से बेहतर है। उन्होंने कॉप बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्ष 2047 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य हासिल करने के बारे में की गई घोषणा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने, देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने के लिए, जीवाश्म ईंधन और पेट्रोलियम पर निर्भरता कम करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक बिल है।
चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने विधेयक का विरोध किया और विधेयक में कई नए प्रावधानों पर चिंता जताई, जिसमें परमाणु उत्पादों के आपूर्तिकर्ताओं की जवाबदेही से छूट शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत अभी भी परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य नहीं है। श्री तिवारी ने यह भी कहा कि इस विधेयक पर फिर से विचार करने की जरूरत है और मांग की कि इसे संयुक्त संसदीय समिति- जे पी सी को भेजा जाना चाहिए। भाजपा के शशांक मणि ने कहा कि यह विधेयक देश को नई गति देगा और विकसित भारत के रथ को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि नये कानून से देशवासियों को फायदा पहुंचेगा और देश को ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में आगे ले जाएगा। विधेयक का विरोध करते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि यह प्राइवेट कंपनियों को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में लाने की कोशिश है।
डी एम के पार्टी के अरुण नेहरू ने विधेयक का विरोध किया और परमाणु ऊर्जा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में प्राइवेट सेक्टर के आने के नुकसान के बारे में बात की। विधेयक का समर्थन करते हुए जनता दल यूनाइटेड के डॉ. आलोक कुमार सुमन ने कहा कि यह कानून देश में परमाणु ऊर्जा के नियंत्रण और सतत इस्तेमाल की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
बिल का समर्थन करते हुए तेलुगु देशम पार्टी के कृष्णा प्रसाद टेनेटी ने कहा कि सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया, विधेयक 2025, का नाम ही देश के परमाणु ऊर्जा का जिम्मेदारी से और रणनीतिक रूप से इस्तेमाल करने के संकल्प को दिखाता है। उन्होंने कहा कि देश की एटॉमिक एनर्जी की यात्रा वैज्ञानिक सोच और राष्ट्रीय दूरदर्शिता में गहराई से जुड़ी हुई है। भारत के परमाणु कार्यक्रम के निर्माता डॉ. होमी जहांगीर भाभा को याद करते हुए श्री टेनेटी ने कहा कि डॉ. भाभा एटॉमिक एनर्जी को विकास और आत्मनिर्भरता का चालक मानते थे।
कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि विधेयक में एक प्रावधान है जो केंद्र सरकार को किसी भी प्लांट को लाइसेंस या लायबिलिटी से छूट देने की अनुमति देता है, अगर जोखिम कम हो। उन्होंने इस प्रावधान को खतरनाक बताया।
भाजपा के डॉ. रबिंद्र नारायण बेहरा ने कहा कि मज़बूत शोध और विकास की वजह से देश परमाणु तकनीक में आत्मनिर्भर बन पाया है। उन्होंने कहा कि भारत ज़िम्मेदारी से परमाणु कार्यक्रम चला रहा है।
सीपीआई-माले के सुदामा प्रसाद ने इस कानून को जनता विरोधी और पर्यावरण विरोधी बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से ऊर्जा क्षेत्र में एकाधिकार स्थापित हो जाएगा, जिससे बिजली की दरें बढ़ेंगी और लोगों को परेशानी होगी।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग-आई यू एम एल के अब्दुस समद समदानी ने कहा कि इस विधेयक में लंबे समय तक चलने वाले रेडियोएक्टिव कचरे के प्रबंधन हेतु कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि इतने संवेदनशील क्षेत्र को कॉर्पोरेट हाथों में सौंपकर, यह कानून नियामक अधिकार और संप्रभु नियंत्रण के कमज़ोर होने का रास्ता खोलता है।
इस विधेयक का विरोध करते हुए समाजवादी पार्टी के पुष्पेंद्र सरोज ने कहा कि राष्ट्र और देशवासियों की सुरक्षा को दांव पर लगाकर परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कभी नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह विधेयक उन सिद्धांतों के खिलाफ है जिनके लिए भारत जाना जाता है।