दिसम्बर 16, 2025 9:18 अपराह्न

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लोकसभा से निरसन और संशोधन विधेयक, 2025 पारित

लोकसभा ने निरसन और संशोधन विधेयक, 2025 पारित कर दिया है। इसमें कुछ कानूनों को रद्द करने और कुछ अन्य कानूनों में संशोधन करने का प्रावधान है। यह 71 अधिनियमों को रद्द करता है, जिसमें भारतीय ट्रामवे अधिनियम, 1886, लेवी चीनी मूल्य समानीकरण निधि अधिनियम, 1976, और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड कर्मचारियों की सेवा शर्तों का निर्धारण अधिनियम, 1988 शामिल हैं। यह विधेयक चार अधिनियमों में संशोधन भी करता है। यह पंजीकृत डाक के लिए शब्दावली को अद्यतन करने के लिए सामान्य खंड अधिनियम, 1897 और नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 में संशोधन करता है। भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 में कुछ मामलों में अदालतों द्वारा वसीयत के सत्यापन की आवश्यकता को हटाने के लिए संशोधन किया जा रहा है। यह विधेयक एक मसौदा त्रुटि को ठीक करने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में भी संशोधन करता है। 
 
सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सदन को बताया कि नरेंद्र मोदी सरकार के तहत मई 2014 से अब तक कुल एक हजार 577 ऐसे कानूनों को निरस्त किया गया है, जो अप्रासंगिक और पुराने हो चुके थे। उन्होंने कहा कि इनमें से एक हजार 562 कानूनों को पूरी तरह निरस्त किया गया है, जबकि 15 कानूनों को फिर से लागू किया गया। श्री मेघवाल ने कहा कि निरसन और संशोधन विधेयक, 2025 का उद्देश्य 71 अधिनियमों को निरस्त या संशोधित करना है। उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में सरकार ने 40 हजार से अधिक अनुपालन बोझ कम किए हैं और कारोबार आसान करने के साथ-साथ जीवन में सुगमता सुनिश्चित की है। श्री मेघवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दृष्टिकोण नीतियों और कार्यों में जन-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने का है और न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के मंत्र के साथ जनता की सेवा करना है।
 
इससे पहले विधेयक पेश करते हुए विधि और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह विधेयक विधि विभाग द्वारा चिन्हित अप्रचलित कानूनों को निरस्त करने का प्रस्ताव करता है। उन्होंने कहा कि जब कोई कानून अपनी उपयोगिता या प्रासंगिकता खो देता है, तो उसे निरस्त कर दिया जाता है। श्री मेघवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कानूनी व्यवस्था में सुधार किए जा रहे हैं, ताकि कानून आम नागरिकों के लिए अधिक सुलभ बन सकें। उन्होंने कहा कि 2014 से सरकार सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के मंत्र पर काम कर रही है। 
 
चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के डीन कुरियाकोस ने विधेयक का विरोध किया और इसे वापस लेने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि इस विधेयक के माध्यम से आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के कुछ प्रावधानों को कमजोर किया जा रहा है और उन्‍होंने मजबूत निवारक उपायों पर जोर दिया।
 
भारतीय जनता पार्टी के मनोज तिवारी ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इस कानून के जरिए 1886 से 1988 के बीच बनाए गए कुछ कानूनों में संशोधन या उन्हें निरस्त किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 71 अधिनियमों में से अधिकांश ऐसे हैं, जिनके प्रावधान पहले ही मूल अधिनियमों में शामिल किए जा चुके हैं और उन्हें अलग अधिनियम के रूप में बनाए रखने की आवश्यकता नहीं है।
 
समाजवादी पार्टी के लालजी वर्मा ने सरकार से विधेयक वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि इसे व्यापक परामर्श के लिए संसदीय समिति को भेजा जाना चाहिए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कुछ अधिनियमों को निरस्त करने की आवश्यकता क्यों है।
 
निर्दलीय सांसद इंजीनियर राशिद ने गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम में संशोधन की मांग की।
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