लोकसभा ने आव्रजन और विदेशी नागरिक विधेयक-2025 पारित कर दिया है। इस विधेयक का उद्देश्य आव्रजन कानूनों को आधुनिक बनाना है। इसमें पासपोर्ट, यात्रा दस्तावेज, वीजा पंजीकरण के संबंध में केंद्र सरकार को कुछ शक्तियां प्रदान करने का प्रावधान है। कानूनों की अधिकता और परस्पर-व्याप्तता से बचने के लिए यह विधेयक लाया गया है।
विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक, राष्ट्रीय सुरक्षा सुदृढ करने, भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए वैश्विक मानदंड सुनिश्चित करने और अनुसंधान तथा विकास और विनिर्माण के लिए आधारभूत ढांचा तैयार करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत एक भू-सांस्कृतिक राष्ट्र है, न कि भू-राजनीतिक। गृह मंत्री ने कहा कि प्रवासियों का स्वागत करने और उन्हें संरक्षण देने का भारत का लम्बा इतिहास है। उन्होंने कहा कि अतीत में आक्रमणों के कारण भारत आए अनेक फारसी शरणार्थी सुरक्षित हैं। श्री शाह ने कहा कि भारत दुनिया के लघुतम अल्पसंख्यकों के लिए शरण-स्थली रहा है और उन्हें गरिमा पूर्वक रहने की जगह दी है। उन्होंने कहा कि इस्राइल से आए यहूदियों ने भारत में शरण मांगी और अपने को सुरक्षित पाया। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अब भी सरकार पडोसी देशों से आए समुदायों को शरण दे रही है। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक की बदौलत छह प्रताडित समुदाय अब भारत में सुरक्षित रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था और विकास में योगदान के लिए भारत आने वाले लोगों का हमेशा स्वागत है। परन्तु, उन्होंने कहा कि शरण की बजाय स्वार्थी इरादों से भारत आने वाले समुदायों की संख्या भी बढ रही है। श्री शाह ने कहा कि चाहे रोहिंग्या हों, या बांग्लादेशी, यदि वे शांति भंग करने के लिए देश में आये हैं, तो उनके खिलाफ कडी कार्रवाई की जायेगी। गृहमंत्री ने कहा कि देश की सुरक्षा के लिए सरकार को यह समझना जरूरी है कि देश में कौन, कितने समय के लिए और किस कारण से प्रवेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि ये धारणाएं नई नहीं हैं और ऐसे अधिकारों का उल्लेख विभिन्न कानूनों में किया गया है। सरकार ने अब उन्हें एकीकृत कर दिया है। श्री शाह ने कहा कि आब्रजन और विदेशी नागरिक विधेयक के जरिए सरकार देश में प्रवेश करने वाले प्रत्येक विदेशी नागरिक का पता लगाने के लिए विस्तृत और संरचनागत प्रणाली कायम कर सकेगी। उन्होंने कहा कि इससे राष्ट्र के विकास में मदद मिलेगी और व्यापार के लिए आने वाले लोगों पर निगरानी रखी जा सकेगी। गृह मंत्री ने कहा कि इस विधेयक से सरकार को ऐसे व्यक्तियों पर कडी नजर रखने में मदद मिलेगी जो सुरक्षा के प्रति खतरा हैं।
इससे पहले बहस की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि यह विधेयक असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि आव्रजन अधिकारियों को ऐसी शक्तियां दी गई हैं, जिससे लोगों को परेशान किया जा सकता है। श्री तिवारी ने विधेयक में सुरक्षा प्रावधान लाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने की मांग की।
भारतीय जनता पार्टी की अपराजिता सारंगी ने कहा कि देश की संस्कृति के अनुसार भारत अपने सभी मेहमानों का सम्मान करता है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि देश में केवल वे ही लोग आएं, जिनके आने से सुरक्षा पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। उन्होंने कहा कि जनवरी 2024 से इस वर्ष जनवरी तक भारत बांग्लादेश सीमा से दो हज़ार छह सौ बांग्लादेशी अप्रवासियों को सुरक्षाबलों ने पकड़ा है। उन्होंने कहा कि विधेयक देश की सुरक्षा और संरक्षा के लिए समय की जरूरत है।
शिवसेना-यूबीटी के सांसद अनिल देसाई ने कहा कि विधेयक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे देश के द्विपक्षीय संबंध और विदेशी संबंध प्रभावित न हों।
भाजपा के अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा कि यह विधेयक औपनिवेशिक युग के कानून की जगह लेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि घुसपैठ ने पश्चिम बंगाल की जनसांख्यिकी को बिगाड़ दिया है।
जनता दल यूनाइटेड की लवली आनंद ने कहा कि मणिपुर में अशांति का मुख्य कारण म्यांमां से घुसपैठ है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक अवैध प्रवासन से निपटने में मदद करेगा।
डीएमके की कनिमोझी ने आरोप लगाया कि यह विधेयक विदेशों में भारतीयों के हितों को खतरे में डालेगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह विधेयक तमिलनाडु में 30 से अधिक वर्षों से पुनर्वास शिविरों में रह रहे 19 हजार से अधिक श्रीलंकाई परिवारों को प्रभावित करेगा। कनिमोझी ने कहा कि विधेयक शरणार्थियों की दुर्दशा को नहीं समझता है।
आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि विधेयक में, विदेशी नागरिकों के लिए प्राकृतिक न्याय, लोकतांत्रिक और नागरिक अधिकारों के सिद्धांतों की रक्षा करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने विधेयक में अनिवार्य रिपोर्टिंग दायित्वों के कारण गोपनीयता के अधिकार के संभावित नुकसान के बारे में आशंका जताई। श्री प्रेमचंद्रन ने विधेयक को जांच के लिए स्थायी समिति को भेजने की मांग की।
आप के मालविंदर सिंह कांग ने कहा कि विधेयक में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अन्य देशों के वास्तविक नागरिकों को पुलिस द्वारा परेशान न किया जाए।