सितम्बर 24, 2024 8:23 पूर्वाह्न

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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ‘सतत एवं समावेशी विकास में विधायिका की भूमिका’ पर 10वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र सम्मेलन को संबोधित किया

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधायिकाओं की दक्षता और कामकाज में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया है। कल नई दिल्ली में शुरू हुए दो दिवसीय 10वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ-सीपीए भारत क्षेत्र सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्‍होंने यह बात कही। श्री बिरला ने विधायी निकायों से विभिन्न मंचों पर चर्चा करने और प्रौद्योगिकी के माध्यम से समाज के उत्‍थान के लिए कल्याणकारी योजनाओं को तैयार करने के महत्‍व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जब प्रौद्योगिकी और संचार के साधन, लोगों के दैनिक जीवन का हिस्सा बन गए हैं ऐसे में जन प्रतिनिधियों को लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के तरीके उपलब्‍ध कराने की कोशिश करनी चाहिए।

 

सतत विकास और समावेशी शासन के लिए विधायी संस्थानों की भूमिका पर जोर देते हुए, श्री बिरला ने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थान, कार्यपालिका की जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करके, शासन को अधिक जिम्मेदार और कुशल बनाते हैं। उन्‍होंने कहा कि समावेशी विकास की दिशा में आने वाली चुनौतियों का समाधान खोजना जनप्रतिनिधियों और विधायी निकायों की जिम्मेदारी है।

 

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विधान मंडलों के 46 पीठासीन अधिकारी, 25 अध्यक्ष और 14 उपाध्यक्ष सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। सम्मेलन का विषय “सतत और समावेशी विकास प्राप्त करने में विधायी निकायों की भूमिका” है।

 

सीपीए इंडिया रीजन 2004 में तत्कालीन सीपीए एशिया रीजन से सीपीए के नौ क्षेत्रों में से एक के रूप में बनाया गया था। वर्तमान में इसकी 31 सदस्य शाखाएँ हैं, जिनमें भारत की संसद और 30 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश विधानमंडल शामिल हैं। यह दूसरा अवसर है जब यह सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है।