जिला लाहौल स्पीति के गाहर घाटी के प्रसिद्ध बौद्ध मठ शाशुर गोम्पा में छेशु मेला आज बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। पवित्र मंत्रोचारण व वाद्य यंत्रों के धुनों के बीच सम्पूर्ण इलाके का वातावरण भक्तिमय बना रहा ।
बोद्ध धर्म के इतिहास में छेशु मेले का बहुत महत्व है । ये बोद्ध धर्म पर अत्याचारी शासक के अंत व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है ।
छेशु मेले में मुखोटा नृत्य व छम्म नृत्य का अपना महत्व है । माना जाता है कि छम्म मात्र देखने से मानव के अंदर विकार खत्म होते है ।
शाशुर गोम्पा के भंड़ारी लामा नवांग उपासक ने बताया कि छेशु किस बोद्ध धर्म में बहुत महव है । तिब्बत में एक अत्याचारी शासक राजा लंग दरमा जो बोद्ध धर्म को खत्म करने व विनाश करने के लिये बोद्ध विक्षुओं पर बहुत अत्याचार किया । उनके अत्याचार के तंग आकर षणयंत्र के तहत छम्म नृत्य व मुखोटा पहनकर लंग दरमा का वध किया और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के तौर पर तिब्बती पंचांग के 5वे महीने के 10 वे तारीख को बोद्ध गोम्पा में मनाया जाता है ।