दिसम्बर 18, 2025 9:12 अपराह्न

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रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) गारंटी विधेयक, 2025 पर राज्यसभा में चर्चा शुरू

विकसित भारत – रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) की गारंटी: विकसित भारत – जी राम जी विधेयक, 2025 पर आज राज्‍यसभा में चर्चा शुरू हुई। यह विधेयक विकसित भारत @2047 के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप ग्रामीण विकास ढांचा स्थापित करने का प्रयास करता है। इस विधेयक के अंतर्गत प्रत्येक वित्तीय वर्ष में शारीरिक श्रम करने के लिए स्‍वेच्‍छा से आगे आने वाले अकुशल वयस्‍क वाले प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक सौ पच्चीस दिनों के वैतनिक रोजगार की वैधानिक गारंटी प्रदान की गई है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच निधि बंटवारे का अनुपात पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों को छोड़कर सभी राज्यों के लिए 60 और 40 के अनुपात में होगा, जबकि पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में यह अनुपात 90 और 10 के अनुपात में रहेगा। राज्य सरकार बेरोजगारी भत्ता और मुआवजा देना जारी रखेगी।

ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन में यह विधेयक पेश किया। चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के मुकुल वासनिक ने विधेयक का विरोध करते हुए दावा किया कि इसका करोड़ों लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि देश में गरीबों के उत्थान के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी की इंदु बाला गोस्वामी ने कहा कि देश की 70 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है और इस विधेयक का उद्देश्य उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाना है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक एक विकसित भारत के निर्माण में सहायक होगा। राष्‍ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने विधेयक का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि यह एक ऐसा कानून है जिसमें परामर्श प्रक्रिया को नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच प्रस्तावित 60 और 40 के अनुपात में निधि बंटवारे के पैटर्न की आलोचना की। तृणमूल कांग्रेस के ऋतब्रता बैनर्जी ने प्रश्‍न किया कि विधेयक लाने से पहले राज्यों और सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श क्यों नहीं किया गया।

वाई एस आर कांग्रेस पार्टी के एस निरंजन रेड्डी ने कहा कि विधेयक पर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता है और इसे एक चयन समिति को भेजा जाना चाहिए। बीजू जनता दल के सुभाषिश खुंटिया ने कहा कि केन्‍द्र और राज्‍यों के बीच 60 और 40 के अनुपात में निधि बंटवारे से गरीब राज्यों पर बोझ पड़ेगा। ऑल इंडिया अन्‍ना डीएमके पार्टी सदस्‍य डॉ. एम थंबीदुरई ने कहा कि ग्रामीण भारत में रोजगार आजीविका, सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता का प्रश्न है। उन्होंने कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण कानून में किसी भी सुधार की गंभीरता और जिम्मेदारी से जांच की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस विधेयक की सबसे महत्वपूर्ण और स्वागत योग्य विशेषता वित्तीय वर्ष में गारंटीकृत रोजगार दिवसों की संख्या को 100 से बढ़ाकर 125 करना है।  चर्चा जारी है।