राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने संविधान की प्रस्तावना में शामिल समाजवादी और पंथ निरपेक्ष शब्दों की समीक्षा का आह्वान किया है। संघ ने कहा कि ये शब्द आपातकाल के दौरान शामिल किए गए और ये डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के संविधान में नहीं थे।
आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयं संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि बाबा साहेब अम्बेडकर ने कभी भी इन शब्दों का प्रयोग संविधान की प्रस्तावना में नहीं किया।
उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकार छीने जाने पर इन शब्दों को जोड़ा गया। बाद में इस मुद्दे पर विचार-विमर्श हुआ, लेकिन प्रस्तावना से इन्हें हटाने का प्रयास नहीं किया गया।
25 जून 1975 को घोषित आपातकाल की याद करते हुए श्री होसबोले ने कहा कि हजारों लोगों को जेलों में डालकर यातना दी गई, न्यायपालिका और मीडिया की स्वतंत्रता छीनी गई।
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी आयोजन में उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि आपातकाल देश के इतिहास का एक अंधकारपूर्ण समय था जब लाखों लोगों को यातना सहनी पड़ी। श्री गड़करी ने कहा कि आपातकाल के दौरान बड़े पैमाने पर उत्पीड़न और अत्याचार हुआ।