राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान – एम्स के डॉक्टरों और प्रशासनिक अधिकारियों से कहा है कि वे लोगों में व्याप्त उन रोगों के बारे में जागरूकता पैदा करें जिनकी उन्हें जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि भावात्मक स्वास्थ आज एक गंभीर चुनौती बनी हुई है।
आज शाम नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स, के 49वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि किसी के लिए भी, विशेषकर युवा पीढ़ी के लिए निराशा की कोई गुंजाइश नहीं है। राष्ट्रपति ने कहा कि एम्स ने न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि नवाचार अनुसंधान और रोगी देखभाल के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा को आगे बढ़ाने के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता वास्तव में सराहनीय है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अपेक्षाकृत अल्पकालिक प्रयोग करती है, जबकि आयुर्वेद, योग और चिकित्सा की कई पारंपरिक प्रणालियाँ मानव स्वास्थ्य के लिए दीर्घकालिक और समग्र दृष्टिकोण अपनाती हैं। राष्ट्रपति मुर्मू ने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि एम्स ने स्वास्थ्य मामलों से निपटने में आधुनिकता और परंपरा का मिश्रण पेश करने के लिए प्राचीन भारतीय स्वास्थ्य उपचार पद्धतियों को अपनाया है। राष्ट्रपति ने एम्स के डॉक्टरों से वंचितों की मदद करने के किसी भी अवसर को कभी नज़रअंदाज़ न करने पर बल दिया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस – एआई संचालित डायग्नोस्टिक्स और रोबोटिक सर्जरी में एम्स अग्रणी रहा है। दीक्षांत समारोह के दौरान विभिन्न विषयों में कुल एक हजार आठ सौ 86 डिग्रियां प्रदान की गईं। एम्स में सराहनीय सेवाओं के लिए आठ डॉक्टरों को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड भी दिया गया।