राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज सुबह एक औपचारिक कार्यक्रम में सिकंदराबाद के रक्षा प्रबंधन महाविद्यालय – सीडीएम को राष्ट्रपति ध्वज से सम्मानित किया। यह महत्वपूर्ण मान्यता भारतीय सशस्त्र बलों के कुशल नेतृत्व को आकार देने में समर्पित अग्रणी रक्षा संस्थान-सीडीएम के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। राष्ट्रपति ध्वज किसी भी रक्षा संस्थान के लिए सबसे उच्चतम पुरस्कार माना जाता है। यह पुरस्कार पेशेवर सैन्य शिक्षा के प्रति महाविद्यालय के असाधारण योगदान का परिचायक है।
1970 में रक्षा प्रबंधन महाविद्यालय की स्थापना के समय से इसके महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत उभरती प्रौद्योगिकियों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को उच्च प्राथमिकता दे रहा है। यह बढ़ी हुई दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए भारतीय रक्षा प्रणालियों में उनका उपयोग भी कर रहा है।
राष्ट्रपति ने उभरती और विध्वंसक प्रौद्योगिकी को अपनाने की आवश्यकता की बात कही। उन्होंने कहा कि भविष्य के सामरिक नेतृत्व की तैयारी में इसी तरह की प्रौद्योगिकी को अपनाने की दिशा में सीडीएम की भूमिका सराहनीय है। उन्होंने आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भरता पहल की दिशा में रक्षा बलों को योगदान देने का आग्रह भी किया। राष्ट्रपति ने कई क्षेत्रों में उभरते विध्वंसकारी संघर्ष पर रक्षा बलों को अपडेटेड रहने की आवश्यकता की बात कही। उन्होंने कहा कि सीडीएम की भूमिका भविष्य के रक्षा बलों को तैयार रखने के लिए निर्णायक है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने अन्सिएंट इंडियन स्ट्रेटेजिक थॉट्स टाइटल्ड ‘पर्ल्स ऑफ़ अन्सिएंट इंडियन विजडम’ के संशोधित संस्करण संकलन के साथ स्पेशल डे कवर और एक स्मारक पदक भी जारी किया। उन्होंने सीडीएम के पाठ्यक्रम में भागीदारी करने वाले मित्र देशों के अधिकारियों के साथ बातचीत की और उन्हें सफल भविष्य की शुभकामनाएं भी दीं। राष्ट्रपति मुर्मु ने सीडीएम में एक स्मारक राष्ट्रीय ध्वज का उद्घाटन भी किया। यह ध्वज संस्थान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण को दर्शाता