राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सभी के अधिकारों और गरिमा की सुरक्षा करने वाले समान डिजिटल वातावरण को सुनिश्चित करने के महत्व पर बल दिया। मानवाधिकार दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि साइबर अपराध और जलवायु परिवर्तन मानवाधिकारों के लिए नई चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग परिवर्तनकारी है, लेकिन इससे साइबर बुलिंग, डीप फेक, गोपनीयता संबंधी चिंताएं और गलत सूचना के प्रसार जैसे मुद्दे भी सामने आये हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि भारत ने गरीबी और भुखमरी को समाप्त करने तथा युवाओं को समान अवसर प्रदान करने के लिए नीतियां लागू कर के दुनिया के सामने उदाहरण पेश किया है। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी 5 हज़ार साल से ज़्यादा पुरानी सभ्यता में सहानुभूति, करुणा और सामंजस्यपूर्ण समुदाय के भीतर व्यक्तियों के पारस्पारिक जुड़ाव के मूल्यों को कायम रखा है।
राष्ट्रपति ने मानवाधिकार उल्लंघनों को दूर करने, जागरूकता लाने और हाशिए पर मौजूद लोगों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए नीतिगत बदलावों की सिफारिश करने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सराहना की। इस अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मु ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के तीन प्रकाशनों का विमोचन किया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष विजया भारती सयानी ने कहा कि मानवाधिकार दिवस हर व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की याद दिलाता है, चाहे उनकी पहचान या पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट समन्वयक शोंबी शार्प ने मानवाधिकार दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतेरस के संदेश को पढ़ा। श्री शार्प ने कहा कि भारत लंबे समय से मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा का सबसे मजबूत समर्थक रहा है।