राज्यसभा सांसद डाॅ. सिकंदर कुमार ने संसद के बजट सत्र के दौरान केन्द्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री से पूछा कि सरकार ने बड़े शहरों में यातायात की भीड़-भाड़ को कम करने के लिए सड़कों, फ्लाईओवरों, अंडरपासों और अन्य त्वरित परियोजना जैसी अवसंरचना परियोजनाओं पर कार्य करने क्या योजना बनाई है?
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उन क्षेत्राों की क्या जानकारी है, जहां वर्तमान वर्ष में अत्याधिक यातायात रहने की सूचना मिली है तथा क्या सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली विशेषकर आईटीओ से इंडिया गेट और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भारी जाम के कारण लोगों को पेश आ रही कठिनाइयों पर ध्यान दिया है?
डाॅ0 सिकंदर कुमार के प्रश्नो का उत्तर देते हुए केन्द्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि शहरी नियोजन एक राज्य का विषय है। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने यातायात की भीड़ को कम करने की दिशा में यातायात मानचित्रण सहित विभिन्न परिवहन संबंधी मुद्दों से निपटने के लिए स्थायी उपाय अपनाने के लिए राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति, 2006, मेट्रो नीति, 2017 और ट्रांजिट उन्मुख विकास नीति से विभिन्न दिशानिर्देश जारी किए हैं।
उन्होनें बताया कि इसके अलावा सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अपने प्रशिक्षण संस्थान, भारतीय राजमार्ग अभियंता अकादमी के माध्यम से उन्नत परिवहन प्रोद्योगिकी एवं प्रणाली केन्द्र की स्थापना के लिए न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय को नियुक्त किया है जिसमें भीड़भाड़ वाले स्थानों का मानचित्रण करने के लिए दो शहरों, नागपुर और मेरठ के लिए भारतीय विशिष्ट शहरी व्यापक डेटा माॅडल विकसित किया जाएगा।
शहरी भीड़भाड़ को कम करने के लिए देश के विभिन्न शहरों में लगभग 939 कि0मी0 लंबी मेट्रो रेल परियोजनाएं निर्माणाधीन है, साथ ही पीएम ई बस सेवा भी शुरू की गई है जिसमें 10 हजार इलेक्ट्रिक बसें चलाने के लिए राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों को 20 हजार करोड़ रुपए की केन्द्रीय सहायता दी जाएगी।
नितिन गडकरी ने आगे बताया कि राज्य का विषय होने के कारण, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय सामान्यतः राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कोई यातायात अध्ययन नहीं करता है, लेकिन फिर भी सरकार ने कुछ राजमार्ग परियोजनाओं को शुरू करके राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अंतर्गत सड़कों पर भीड़भाड़ को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होनें कहा कि राजमार्ग परियोजनाओं के अतिरिक्त सरकार ने मेट्रो सेवाएं विकसित की है जो लगभग 393 किलोमीटर के नेटवर्क पर संचालित है और इनमें प्रतिदिन औसतन 70 हजार यात्री यात्रा करते हैं। इसके अतिरिक्त 1221 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए दिल्ली सरकार को केंद्रिय सहायता भी मंजूर की है।
डाॅ0 सिकंदर ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री से जानना चाहा कि क्या हिमाचल प्रदेश में नशीले पदार्थों का सेवन अथवा अवैध पदार्थों का उपयोग बढ़ रहा है ? हिमाचल प्रदेश में सरकार द्वारा खोले गए नशा मुक्ति केन्द्रों की संख्या कितनी है ? क्या सरकार के पास हिमाचल प्रदेश में युवाओं द्वारा किए जा रहे नशीले पदार्थों के सेवन की रोकथान के लिए कोई योजना है ?
इस संबंध में केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य ममंत्री बी.एल. वर्मा ने बताया कि वर्ष 2018 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा नेशनल ड्रग डिपेन्डेंस ट्रीटमेंट सेंटर, एम्स के माध्यम से भारत में नशीले पदार्थों की मात्रा और पैटर्न पर व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया है, जिसमें हिमाचल प्रदेश में विभिन्न मादक पदार्थों के दुरूपयोगकर्ताओं की अनुमानित संख्या का ब्योरा लिया गया है। हिमाचल प्रदेश में कुल्लू, हमीरपुर और ऊना में 03 नशीले पदार्थों के दुरूपयोग के पीड़ितों के लिए एकीकृत पुनर्वास केन्द्र, शिमला में 01 समुदाय आधारित पीयर लेड इंटरवेंशन केन्द्र, कांगड़ा में 01 जिला नशा मुक्ति केन्द्र और सरकारी अस्पताल कुल्लू में 01 नशे के आदी लोगों के लिए उपचार सुविधाओं के लिए निधियां प्रदान की गई है।
उन्होनें आगे कहा कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय देश में नशीले पदार्थों की मांग को कम करने के लिए नोडल मंत्रालय है। इस मंत्रालय ने नशे से निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश सहित देश में नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार कर उसे लागू कर रहा है। नशा मुक्ति के लिए एक टोल फ्री हेल्पलाइन 14446 स्थापित की गई है जिसके माध्यम से लोगों को प्राथमिक परामर्श और तत्काल रेफरल सेवाएं प्रदान की जाती है और आज तक हिमाचल प्रदेश से 1391 काॅल प्राप्त हुई हैं।
केन्द्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि केन्द्र सरकार के इस मंत्रालय ने नवचेतना माॅडयूल और शिक्षक प्रशिक्षण माॅडयूल विकसित किए है ताकि छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को नशीले पदार्थाें पर निर्भरता, इससे निपटने की कार्यनीतियों और जीवन कौशल के बारे में जागरूक किया जा सके। उन्होनें कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा नशा मुक्त भारत अभियान शुरू किया गया था और अब इसे हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों सहित देश के सभी जिलों में लागू किया जा रहा है।
इस अभियान का उदेश्य उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों और स्कूलों में इस पर निर्भर आबादी की पहचान करने, अस्पतालों और पुनर्वास केंद्रों में परामर्श और उपचार सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करने और सेवा प्रदाताओं के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रमो पर ध्यान केंद्रित करने के साथ नशीले पदार्थों के सेवन के बारे में जागरूकता फैलाना है।
डाॅ. सिकंदर ने कहा कि समाज में बढ़ते नशे के कारण भारत का भविष्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है और इस समस्या से निपटने के लिए हम सबको सरकार के साथ मिलकर प्रयास करने होंगे।