दिसम्बर 18, 2025 8:53 अपराह्न

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सतत परमाणु ऊर्जा दोहन एवं विकास भारत रूपांतरण विधेयक, 2025 राज्‍यसभा से पारित

सतत परमाणु ऊर्जा दोहन एवं विकास, भारत रूपांतरण विधेयक, 2025 आज राज्‍यसभा से पारित हो गया । लोकसभा ने इसे कल ही पारित किया था। यह विधेयक परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 का स्थान लेगा। इस विधेयक का उद्देश्य देशवासियों के कल्याण के लिए परमाणु ऊर्जा और आयनीकरण विकिरण के विकास के माध्यम से परमाणु ऊर्जा उत्पादन को बढाना है। साथ ही, इसके सुरक्षित उपयोग के लिए एक सुदृढ़ नियामक ढांचा प्रदान करना भी इसका उद्देश्य है। विधेयक में परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के गठन और परमाणु ऊर्जा निवारण सलाहकार परिषद की स्थापना का प्रावधान है। विधेयक में परमाणु दुर्घटना की स्थिति में केंद्र सरकार के दायित्व का भी प्रावधान है। केंद्र सरकार ने विधेयक के तहत अपने दायित्व को पूरा करने के लिए एक परमाणु दायित्व कोष स्थापित किया है। यह विधेयक बोर्ड को किसी भी रेडियोधर्मी पदार्थ और विकिरण उत्पन्न करने वाले उपकरणों के निर्माण, उपयोग, निर्यात, आयात, परिवहन और हस्तांतरण को विनियमित करने में सक्षम बनाता है। यह विधेयक केंद्र सरकार को रेडियोधर्मी पदार्थों की सुरक्षा के लिए उपाय निर्धारित करने का अधिकार भी देता है। यह विधेयक केंद्र सरकार को यूरेनियम या थोरियम की खोज हेतु अन्वेषण गतिविधियां चलाने का अधिकार भी प्रदान करता है।

विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले एक दशक में सरकार ने परमाणु क्षेत्र में बहुत बड़ी प्रगति की है। उन्होंने कहा कि चाहे परमाणु चिकित्सा से कैंसर का इलाज हो, खाद्य संरक्षण हो या कृषि क्षेत्र, परमाणु प्रौद्योगिकी का इसमें बड़ा योगदान है। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रौद्योगिकी में बदलाव आया है और देश अब छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने कहा कि अब ऐसे रिएक्टर होंगे जो घनी आबादी वाले क्षेत्रों में बिजली प्रदान करेंगे। डॉक्‍टर सिंह ने कहा कि सरकार ने 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने बताया कि विधेयक पर एक वर्ष से अधिक समय तक विचार-विमर्श किया गया है। उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि सुरक्षा संबंधी पहलुओं पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के जयराम रमेश ने अपने भाषण में भारत में परमाणु ऊर्जा के विकास की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि विकास सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा संचालित होना चाहिए। श्री रमेश ने कहा कि अगर इसे निजी क्षेत्र के हाथों में सौंप दिया जाता है, तो यह देश के परमाणु कार्यक्रमों का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिकों की दृढ़ मान्यताओं की अनदेखी करने के बराबर होगा।

भारतीय जनता पार्टी – भाजपा की किरण चौधरी ने कहा कि यह विधेयक पुराने बिखरे हुए नियमों को निरस्त करता है और उनकी जगह लाइसेंसिंग, सुरक्षा अनुमोदन, जवाबदेही और मुआवजे को कवर करने वाला एक एकीकृत और आधुनिक ढांचा लाता है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रीय सुरक्षा और जन सुरक्षा पर स्पष्ट ध्यान केंद्रित करते हुए परमाणु ऊर्जा की ठोस नींव रखी थी और अब इस दृष्टिकोण को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साकार किया और आगे बढ़ाया है। तृणमूल कांग्रेस की सागरिका घोष ने विधेयक का विरोध करते हुए इसे मूल रूप से खतरनाक बताया।

वाई एस आर कांग्रेस पार्टी  के अयोध्या सांसद रामी रेड्डी अल्ला ने कहा कि यह विधेयक 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाओं को मान्यता देता है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा और कम कार्बन उत्सर्जन वाले विकास के लिए निजी निवेश और नियामक स्पष्टता आवश्यक है।

ऑल इंडिया अन्‍ना डीएमके पार्टी के एम थंबीदुरई ने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा से वैज्ञानिक प्रगति, स्वच्छ ऊर्जा पहलों और राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता के समर्थन में खड़ी रही है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के ए. ए. रहीम ने विधेयक का विरोध करते हुए दावा किया कि यह निजी कंपनियों, विशेष रूप से आपूर्तिकर्ताओं के हितों की रक्षा करता है। मनोनीत सदस्य सुधा मूर्ति ने कहा कि परमाणु ऊर्जा भारत की विशाल ऊर्जा मांगों को पूरा करने में सहायक हो सकती है। उन्होंने कहा कि निजीकरण कोई बुरी बात नहीं है क्योंकि इससे रोजगार पैदा होता है और गरीबी दूर होती है।

भारत राष्ट्र समिति के के. आर. सुरेश रेड्डी ने सुरक्षा संबंधी चिंताओं को उठाया और विधेयक में पर्यावरण संबंधी जवाबदेही के अभाव पर सवाल उठाए। उन्होंने सुझाव दिया कि विधेयक को गहन जांच के लिए एक चयन समिति को भेजा जाना चाहिए। डी एम के पार्टी के. पी. विल्सन ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि विधेयक में वैध सुरक्षा चिंताओं का समाधान नहीं किया गया है और आपूर्तिकर्ताओं की जवाबदेही को कम किया गया है। शिवसेना (उद्धव गुट) की प्रियंका चतुर्वेदी, समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव, राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज कुमार झा, आम आदमी पार्टी के संदीप पाठक और बीजू जनता दल के मुजीबुल्ला खान ने भी चर्चा में भाग लिया।