राज्यसभा में कल पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में सफल और निर्णायक ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा हुई। चर्चा की शुरुआत करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की हत्या करने वाले तीन आतंकवादियों के सफाये के लिए सेना और सुरक्षाबलों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकी ठिकानों को नष्ट करना और यह स्पष्ट संदेश देना था कि भारत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि देश के भविष्य को आकार देने में ऑपरेशन सिंदूर की भूमिका महत्वपूर्ण है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आतंकवादी भारत को एक आसान लक्ष्य मान रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में उन्हें कड़ा और स्पष्ट संदेश दिया गया कि यदि निर्दोष लोगों की हत्या हुई तो उनके ठिकाने धवस्त कर दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया और सौ से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि यदि पाकिस्तान भविष्य में फिर ऐसा दुस्साहस करेगा, तो भारत ऑपरेशन सिंदूर के तहत कार्रवाई से नहीं हिचकेगा। उन्होंने कहा कि भारत, पाकिस्तान की परमाणु धमकियों के आगे कभी नहीं झुकेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सशस्त्र बलों को आपात खरीद का अधिकार दिया है।
रक्षा निर्यात के बारे में श्री सिंह ने कहा कि स्वदेश में बने रक्षा उत्पाद इस वर्ष लगभग एक सौ देशों को निर्यात किए जा रहे हैं और भारत का रक्षा निर्यात तीस हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, 2029 तक इसके पचास हजार करोड रुपये तक पहुंचने की आशा है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान संघर्ष विराम की घोषणा के बारे में सरकार से सवाल किया। सरकार पर खुफिया विफलता का आरोप लगाते हुए श्री खरगे ने कहा कि उरी, पुलवामा और पहलगाम हमला खुफिया नाकामी दर्शाता है। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के दोषियों को पकड़ने में विफल रहने पर भी सरकार को सवालों के घेरे लिया। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह को सुरक्षा चूक की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
श्री खरगे के आरोपों का जवाब देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि संघर्ष विराम की घोषणा किसी दवाब में नहीं की गई और न ही अमरीकी नेतृत्व के साथ प्रधानमंत्री मोदी की कोई बातचीत हुई।
डी.एम.के.पार्टी के तिरुचि शिवा ने सरकार पर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं देने का आरोप लगाया। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी तय करने की मांग की।
आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी भारतीय सशस्त्र बलों के साहस और शौर्य की सराहना करती है लेकिन वे सरकार से पूछना चाहते हैं कि पहलगाम आतंकी हमले के लिए कौन जिम्मदार है।
वाई.एस.आर.सी.पी. के श्री सुब्बारेड्डी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की रणनीतिक कुशलता का उदाहरण बन गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह कथन बिल्कुल सटीक है कि व्यापार, बातचीत और आतंक तथा लहू और पानी एक साथ नहीं हो सकते। उन्होंने विदेशों में सात शिष्टमंडल भेजने के सरकार के निर्णय का भी समर्थन किया।
बीजू जनता दल के सुभाशीष खुंतिया ने भारतीय सेना की वीरता और दक्षता की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता सशस्त्र बलों की केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रतिबद्धता दर्शाती है।
ऑल इंडिया अन्ना डी.एम.के. के डॉक्टर एम. थम्बीदुरई ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने देश की प्रौद्योगिकी क्षमताओं को भी उजागर किया है और पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया है कि अब उसकी आतंकी गतिविधियों को हल्के में नहीं लिया जाएगा।
जनता दल यूनाइटिड के संजय कुमार झा ने ऑपरेशन सिंदूर को एक ऐतिहासिक सफलता बताया।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद सरकार ने इसके जिम्मेदार लोगों को मुंहतोड़ जवाब देने का संकल्प लिया था।
भारतीय जनता पार्टी के बृजलाल ने कांग्रेस पर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सवाल उठाने का आराोप लगाया।
समाजवादी पार्टी के प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने ऑपरेशन सिंदूर के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर पूरा विपक्ष सरकार के साथ है।
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की महुआ मांझी ने सशस्त्र बलों के साहस और शौर्य को नमन किया। उन्होंने सरकार से पूछा कि संघर्ष विराम का निर्णय किसके दबाव में लिया गया।
तृणमूल कांग्रेस की सागरिका घोष और राष्ट्रीय जनता दल के ए.डी. सिंह, कांग्रेस के पी. चिदम्बरम और शक्ति सिंह गोहिल तथा तमिल मनिला कांग्रेस-मूपनार गुट के जी.के. वासन ने भी चर्चा में भाग लिया। इसके बाद उपसभापति ने सदन की कार्यवाही आज दिन के 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।