संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही एक विशेष अल्पसंख्यक समूह को आरक्षण देने के लिए संविधान में बदलाव करने पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की टिप्पणी को लेकर हुए शोर-शराबे के कारण दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
सुबह राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो सत्ता पक्ष के सदस्यों ने इस मुद्दे पर विरोध करना शुरू कर दिया। श्री शिवकुमार की संवैधानिक बदलाव संबंधी उनकी कथित टिप्पणी का उल्लेख करते हुए संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने एक विशेष अल्पसंख्यक समूह को आरक्षण देकर बाबासाहेब आम्बेडकर के संविधान की प्रतिष्ठा को कम किया है।
उन्होंने उपमुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की। सदन के नेता जेपी नड्डा ने इस प्रस्ताव के जरिए संविधान को कमजोर बनाने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि डॉ.भीमराव आम्बेडकर देश में धर्म आधारित आरक्षण के विरूद्ध थे।
उन्होंने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने सार्वजनिक ठेकों में धर्म के आधार पर चार प्रतिशत आरक्षण पहले ही पारित कर चुकी है। श्री नड्डा ने कहा कि उप मुख्यमंत्री ने कहा कि वे अपने विभाजनकारी एजेंडे को पूरा करने के लिए संविधान को भी बदल देंगे।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि डॉ.भीमराव आम्बेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान को कोई बदल नहीं सकता है और कोई भी आरक्षण को समाप्त नहीं कर सकता है। हंगामा जारी रहने के कारण सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
दोपहर 12 बजे तक के स्थगन के बाद जब लोकसभा की कार्यवाही फिर शुरू हुई तो श्री रिजिजू ने बताया कि धर्म के आधार पर आरक्षण का मुद्दा 1947 में सामने आया था जिसे सभी तत्कालीन प्रमुख नेताओं ने खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपने नेता को उनकी टिप्पणी के लिए संवैधानिक पद से हटा देना चाहिए।
इस हंगामे के बीच पीठासीन अधिकारी ने सदन में व्यवस्था बनाए रखने का आग्रह विरोध करने वाले सदस्यों से किया लेकिन उन्होंने अपना विरोध जारी रखा। इस कारण सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले, लोकसभा में जब सुबह सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो सत्ता पक्ष के सदस्यों ने इसी मुद्दे पर शोर-शराबा शुरू किया।
उत्तरप्रदेश में महिलाओं के विरूद्ध अपराध की घटनाओं का विरोध करते हुए समाजवादी पार्टी के सांसदों ने तख्ती लेकर सदन में प्रवेश किया। अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में तख्ती दिखाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने इसे लोकसभा के नियम और मर्यादा के विरुद्ध बताया। उन्होंने सदस्यों को आगाह भी किया।
लेकिन समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने अपना विरोध जारी रखा। भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने भी कर्नाटक में विशेष अल्पसंख्यक समूह को आरक्षण देने के मुद्दे पर विरोध किया।