संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के हंगामे के बाद दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
राज्यसभा सुबह 11 बजे जब शुरू हुई, तो उपसभापति हरिवंश ने कहा कि उन्हें विभिन्न राजनीतिक दलों से विभिन्न मुद्दों पर 20 स्थगन प्रस्ताव मिले थे, लेकिन शासनादेश का हवाला देते हुए उन्हें अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद, विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी। उपसभापति ने शून्यकाल चलाने की कोशिश की और विपक्षी सदस्यों से सदन की कार्यवाही चलने देने का आग्रह किया, लेकिन विपक्षी सदस्यों ने अपना विरोध जारी रखा। हंगामा जारी रहने पर सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
लोकसभा में भी ऐसी ही स्थिति देखने को मिली। पहले स्थगन के बाद दोपहर बारह बजे जब निचले सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्षी दलों ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रस्ताव के मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। पीठासीन अधिकारी ने शून्यकाल चलाने की कोशिश की लेकिन विपक्षी सदस्य अपनी मांग पर अड़े रहे। सभापति ने शून्यकाल चलने देने की बार-बार अपील की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। शोरगुल के बीच सभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले सदन की कार्यवाही जब सुबह 11 बजे शुरू हुइ्र तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन को सूचित किया कि अब संविधान में सूचीबद्ध सभी भाषाओं में अनुवाद सेवाएं उपलब्ध होंगी। उन्होंने कहा कि अब कश्मीरी, कोंकणी और संथाली में भी अनुवाद सेवाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि अब तक हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 18 भाषाओं में अनुवाद सुविधाएं प्रदान की जा रही थीं। श्री बिरला ने बताया कि कश्मीरी, कोंकणी और संथाली को शामिल करने के साथ ही सदन अब संविधान की 8वीं अनुसूची में उल्लिखित सभी 22 भाषाओं में अनुवाद सुविधाएं प्रदान कर रहा है।