भारत के यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ने वित्तीय समावेशन को बढ़ाने और समान आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में सफलता प्राप्त की है। भारतीय प्रबन्धन संस्थान और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के एक अध्ययन के अनुसार, यूपीआई ने वंचित समूहों को औपचारिक ऋण तक पहुँचने में सक्षम बनाया है।
‘ओपन बैंकिंग और डिजिटल भुगतान: क्रेडिट एक्सेस के लिए निहितार्थ’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यू पी आई के लाभ केवल भारत तक ही सीमित नही है बल्कि अन्य देशों को भी इससे लाभ मिल सकता है। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि ऋण वृद्धि के बावजूद, डिफ़ॉल्ट दरें नहीं बढ़ीं हैं।
वर्ष 2016 में शुरू किए गए यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस-यू पी आई ने देश में वित्तीय लेन-देन के तौर-तरीकों को बदल दिया है। यू पी आई ने लगभग तीस करोड लोगों और तकरीबन पांच करोड़ कारोबारियों को डिजिटल लेन-देन के लिए सक्षम बनाया है।