शहद उत्पादन से प्रदेश में न केवल लोगों को अच्छी गुणवत्ता का शहद उपलब्ध हो रहा है। वहीं यह रोजगार सृजन का भी माध्यम बन रहा है।
मुरैना जिले में बीते 10 वर्षांं के दौरान शहद का उत्पादन प्रतिवर्ष 35 हजार क्विंटल से अधिक हो गया है। इसे अंचल की मीठी क्रांती माना जा रहा है। जिले के 200 से अधिक गांवों में मधुमक्खी पालन का कारोबार 3 लाख 25 हजार मानव दिवस रोजगार का श्रृजन कर रहा है। ग्रामीण युवा परम्परागत खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन के व्यवसाय से जुड़कर रबी तथा खरीफ की फसलों के दौरान शहद उत्पादन में जुटे हुये हैं।
इच्छुक ग्रामीण व शहरी युवाओं के साथ आजीविका मिशन के अन्तर्गत संचालित समूह सदस्य महिलाओं को कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण प्रदान कर शहद व्यवसाय से जोड़ा जा रहा है।