राज्य में मातृ-मृत्यु दर को कम करने की पहल के रूप में हरिद्वार में एक पायलट प्रोजेक्ट की जल्द ही शुरुआत की जाएगी। आज सचिवालय में उत्तराखण्ड स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण समिति की 12वीं गवर्निंग बॉडी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने अधिकारियों को ये निर्देश दिए। उन्होंने मातृ-मृत्यु दर को कम करने के लिए मेटरनल डेथ ऑडिट को अनिवार्य करने और स्वास्थ्य विभाग तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बीच प्रभावी समन्वय के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने राज्य को अगले साल तक क्षय रोग से मुक्त करने के लक्ष्य को समय से पूरा करने के दृष्टिगत टीबी बाहुल्य क्षेत्रों का चिन्हीकरण कर वहां विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को हिदायत दी, कि राज्य में स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में अत्यधिक भवनों और इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण की अपेक्षा, मेडिकल सेवाओं तथा मानव संसाधन के सुधार पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को आदि कैलाश और केदारनाथ सहित सभी उच्च पर्वतीय वाले धामों, पर्यटक स्थलों, होटलों और धर्मशालाओं पर पर्याप्त संख्या में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर रखने के भी निर्देश दिए हैं। बैठक में मुख्य सचिव ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तराखण्ड के तहत कार्यरत कार्मिकों के मानदेय के प्रस्ताव पर अनुमोदन दिया।
इसके साथ ही उन्होंने अल्मोड़ा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सल्ट और चैखुटिया में सेन्ट्रल आक्सीजन पाईप लाइन एवं मैनीफोल्ड, आक्सीजन प्लांट के विभिन्न कार्यों को मंजूरी दी। इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सहसपुर और डोईवाला में आक्सीजन प्लांट व शेड कार्यों की विभिन्न वित्तीय स्वीकृतियां प्रदान की।