मद्रास उच्च न्यायालय ने ए.आई.ए.डी.एम.के. पार्टी के आंतरिक मतभेद की जांच निर्वाचन आयोग द्वारा किए जाने पर लगाई गई रोक को हटा दिया है। न्यायमूर्ति आर. सुब्रमनयन और जी. अरुल मुरुगन की खण्डपीठ ने निर्वाचन आयोग प्राधिकारण को दी गई चुनौती याचिका खारिज कर दी है।
न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वो निर्वाचन चिह्न आदेश 1968 के 15वें अनुच्छेद के अंतर्गत ही कार्रवाई करें। इस प्रावधान के अंतर्गत निर्वाचन आयोग को पार्टी के किसी धड़े को सरकारी मान्यता देने का अधिकार दिया गया है। हालांकि, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि निर्णय लेने से पहले निर्वाचन आयोग को इस विवाद की वास्तविकता तय कर लेनी चाहिए।
जिन लोगों ने निर्वाचन आयोग के समक्ष यह मामला पेश किया है उनमें तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पनिरसेल्वम के पुत्र पी. रविन्द्रनाथ और ए.आई.ए.डी.एम.के. से निष्कासित के.सी. प्लनीसामी और वापुगाझेंडी शामिल हैं।