प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भाषा, साहित्य, कला और आध्यात्मिकता जैसे सांस्कृतिक स्तंभ किसी भी देश की पहचान बनाते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज जब देश विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, उसकी जड़ें आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और स्वाभिमान से गहरी जुड़ी हुई हैं।
आज नई दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का उल्लेख किया। श्री मोदी ने विश्व से अपील की कि समस्याओं का समाधान युद्ध में ढूंढने की बजाय भगवान बुद्ध की शिक्षाओं में ढूंढे जो शांति का मार्ग प्रशस्त करती हैं।
उन्होंने कहा कि भारत अमृत काल से गुजर रहा है और यह परिवर्तनकारी यात्रा 2047 सम्पन्न होगी। उन्होंने कहा कि इस अवधि में देश का उदय विकसित राष्ट्र के रूप में होगा। श्री मोदी ने कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षा से प्रेरणा लेकर देश के विकास की रूपरेखा से अभूतपूर्व और सकारात्मक परिवर्तन होंगे। उन्होंने कहा कि देश भगवान बुद्ध की कालातीत शिक्षा का अनुसरण करते हुए देश एक नई दिशा में बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने देश के युवाओं का आह्वान किया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए अपनी संस्कृति और मूल्यों पर गर्व करें। पाली भाषों को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के सरकार के निर्णय पर श्री मोदी ने कहा कि भाषाएं केवल वार्तालाप का माध्यम नहीं है बल्कि सभ्यता और संस्कृति की आत्मा भी हैं।
श्री मोदी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है और इसलिए इस वर्ष का अभिधम्म दिवस ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा कि पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा घोषित करना भगवान बुद्ध की महान विरासत के प्रति सम्मान है।
देश की समृद्ध विरासत और संस्कृति के संरक्षण के लिए सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के विभिन्न देशों से छह सौ प्राचीन विमान और अन्य अवशेष वापस देश में लाए गए। भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के बारे में श्री मोदी ने कहा कि धम्म का अर्थ है बुद्ध के संदेश, उनके सिद्धांत और मानव अस्तित्व से जुड़े प्रश्नों का समाधान।
प्रधानमंत्री ने कहा कि धम्म संपूर्ण मानव जाति के लिए शांति का मार्ग है। उन्होंने कहा कि अभिधम्म दिवस हमें संदेश देता है कि दुनिया को बेहतर बनाने के लिए करुणा और सद्भावना मूल मंत्र है।
अभिधम्म दिवस के पावन अवसर पर प्रधानमंत्री ने सभी को और विशेष रूप से भगवान बुद्ध के अनुयायियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आज के दिन शरद पूर्णिमा का पर्व और महर्षि वाल्मिकी की जयंती भी मनाई जा रही है।
पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के सरकार के फैसले की अनेक शिक्षाविदों और विद्वानों ने प्रशंसा की है। आकाशवाणी समाचार से बातचीत में विद्वान डॉक्टर भदन्त राहुल ने सरकार के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि इससे लोगों में पाली भाषा के बारे में जागरूता बढ़ेगी और देश के युवाओं को इससे लाभ होगा।इतिहास की छात्रा छाया ने भी सरकार के निर्णय की सराहना की।