प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि भारत को अगले 10 वर्षों में आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है, ताकि देश पर वैश्विक परिस्थितियों का ज्यादा प्रभाव न पड़े। प्रधानमंत्री ने भारतीय रिजर्व बैंक के 90 वर्ष पूरे होने के अवसर पर मुम्बई में आयोजित समारोह में कहा कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है और यह शोध का विषय है।
उन्होंने कहा कि पिछले दशक में उनकी सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए कदमों के कारण बैंकिंग क्षेत्र लाभ की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनरुद्धार के लिए साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली है।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सकल गैर-निष्पादित संपत्ति, जो 2018 में लगभग 11.25 प्रतिशत थी, वह पिछले साल सितंबर तक गिरकर तीन प्रतिशत से भी कम रह गई।
श्री मोदी ने कहा कि दोहरी-बैलेंस शीट की समस्या अब अतीत की बात हो गयी है और बैंक अब 15 प्रतिशत की ऋण वृद्धि दर्ज कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आरबीआई ने इन सभी उपलब्धियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कार्यक्रम में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री भागवत किशनराव कराड तथा पंकज चौधरी भी मौजूद थे।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस अवसर पर कहा कि एक संस्था के रूप में रिजर्व बैंक का विकास भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तथा अजीत पवार और विभिन्न बैंकों के प्रतिनिधियों और उद्योग जगत के नेताओं ने भी कार्यक्रम में भाग लिया। रिज़र्व बैंक ने एक अप्रैल 1935 को कार्य करना शुरू किया था।
केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि रिजर्व बैंक ने कोविड महामारी के दौरान मुद्रा का प्रवाह सुनिश्चित करने, विकास को बढ़ावा देने और वित्तीय मजबूती के लिए विभिन्न पारंपरिक और गैर पारंपरिक तरीके अपनाए।
उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान, रिजर्व बैंक के उपायों से मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और विदेशी मुद्रा बाजार की अस्थिरता दूर करने में मदद मिली।