संयुक्त राष्ट्र में सैन्य सहयोग करने वाले देशों के प्रमुखों का सम्मेलन आज नई दिल्ली में शुरू हुआ। भारतीय सेना तीन दिवसीय सम्मेलन की मेजबानी कर रही है। इसमें परिचालन संबंधी चुनौतियों, नए खतरों, श्रेष्ठ पद्धतियों को साझा करने और भविष्य की शांति स्थापना के बारे में विचार विमर्श किया जा रहा है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत पुरानी हो चुकी अंतर्राष्ट्रीय संरचनाओं में सुधार की वकालत कर रहा है क्योंकि कुछ देश खुले तौर पर अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं जबकि कुछ देश इन पर वर्चस्व रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत अंतर्राष्ट्रीय नियम आधारित व्यवस्था बनाये रखने पर मजबूती से कायम है। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत मानता है कि शांति स्थापित करने की सफलता केवल संख्या पर नहीं बल्कि उसकी तैयारी पर भी निर्भर करती है।
शांति स्थापना अभियान को बनाये रखने के लिए श्री सिंह ने सभी सदस्य देशों से सेना, लॉजिस्टिक, प्रौद्योगिकी और विशेष क्षमताओं के साथ सहयोग बढाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सुरक्षित संचार, निरीक्षण प्रणाली और मानव रहित प्लेटफार्म जैसे नवाचार, मिशन को अधिक प्रभावी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत भारत ने किफायती, स्वेदशी प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं जिससे शांति स्थापना मिशनों को मजबूती मिलेगी। श्री सिंह ने कहा कि शांति स्थापना में एक प्रेरणादायक बदलाव महिलाओं की बढती भागीदारी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की उपस्थिति से मिशन की प्रभावशीलता में वृद्धि होती है, स्थानीय लोगों के साथ विश्वास पैदा होता है और संचालन में मजबूती आती है।
रक्षामंत्री ने कहा कि भारत अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा कायम रखने में संयुक्त राष्ट्र के साथ दृढ़ता के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि भारत के सैनिक, पुलिस और मेडिकल पेशेवर संयुक्त राष्ट्र के शांति स्थापना मिशनों के दौरान कमजोर लोगों की सुरक्षा और समाज को पुन निर्मित करने के लिए अंतराष्ट्रीय समुदाय के साथ एकजुट होकर काम करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ध्वज के लिए 180 से अधिक भारतीय शांति रक्षकों ने अपना बलिदान दिया है। उनका साहस और निस्वार्थ सेवा मानवता की चेतना में जीवित है।
इस अवसर पर सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने उन्नत प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने, त्वरित तैनाती क्षमता बढाने और सैन्य सहयोग करने वाले देशों के बीच पारस्परिक सहयोग मजबूत करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि दीर्घकाल में वैश्विक शांति अभियानों को बनाए रखने के लिए सहयोगात्मक प्रशिक्षण और नवीन संसाधन प्रबंधन आवश्यक है। जनरल द्विवेदी ने बताया कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र के कुल 71 शांति स्थापना मिशनों में से 51 मिशनों में लगभग तीन लाख महिला और पुरूष सैनिक भेजे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में इस सम्मेलन की मेजबानी न केवल गौरव की बात है बल्कि यह वैश्विक शांति के महान मिशन को आगे बढ़ाने और सहयोग को सुदृढ़ करने के साझा संकल्प की पुष्टि भी है। इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशनों में सहयोग करने वाले 32 देशों के प्रमुख और प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।