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अक्टूबर 26, 2024 7:09 पूर्वाह्न

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भारत और जर्मनी ने यूक्रेन में जारी युद्ध और इसके मानवीय पहलुओं पर गहरी चिंता व्यक्त की

भारत और जर्मनी ने यूक्रेन में जारी युद्ध और इसके मानवीय पहलुओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है। कल नई दिल्ली में, भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श के बाद जारी वक्तव्य में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने कहा कि यूक्रेन में अंतरराष्ट्रीय क़ानून के मुताबिक व्यापक शांति की आवश्यकता है।

 

दोनों नेताओं ने ख़ासकर विकासशील देशों में खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर यूक्रेन युद्ध के नकारात्मक प्रभाव की भी चर्चा की। उन्होंने यह भी कहा कि इस युद्ध में परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी देने को स्वीकार नहीं किया जा सकता। दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा घोषित आतंकी संगठनों के ख़िलाफ़ संगठित प्रयास किए जाने की अपील भी की।

 

वक्तव्य में,पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता पर बल दिया गया और पिछले वर्ष 7 अक्टूबर को फलस्तीनी हथियारबंद गुट हमास के आतंकी हमले की एकस्वर से निंदा की गई। दोनों नेताओं ने गज़ा में जान-माल के नुक़सान पर भी चिंता व्यक्त करते हुए तुरंत संघर्ष-विराम पर और मानवीय सहायता जारी रखने पर ज़ोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि इस संघर्ष को फैलने से रोकने के लिए आसपास के देशों को अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी।

 

भारत और जर्मनी ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र की खुशहाली और सुरक्षा ज़रूरी है। दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय क़ानून के मुताबिक़ समुद्री मार्ग से मुक्त आवाजाही पर भी ज़ोर दिया। दोनों पक्षों ने रक्षा और सुरक्षा सहयोग संबंधी समझौते को अंतिम रूप देने पर भी सहमति व्यक्त की।

 

हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और समुद्री आवाजाही पर नज़र रखने के लिए जर्मनी, हरियाणा के गुरुग्राम में एक स्थायी केंद्र खोलेगा।
दोनों नेताओं ने व्यापक मुक्त व्यापार समझौते, निवेश संरक्षण समझौते और यूरोपीय संघ तथा भारत के बीच भौगोलिक संकेत समझौते को जल्द से जल्द कार्यरूप देने को ज़रूरी बताया।