भारत और अमरीका ने सीमा पार आतंकवाद सहित इसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की एक स्वर में निंदा की है। दोनों पक्षों के बीच आतंकवाद रोधी भारत-अमरीका संयुक्त कार्य समूह की 21वीं बैठक और सातवां सुझाव संवाद नई दिल्ली में आयोजित किया गया।
दोनों पक्षों ने प्रशिक्षण, साइबर सुरक्षा, श्रेष्ठ कार्य प्रणालियों का आदान-प्रदान तथा सतत द्विपक्षीय और बहुपक्षीय प्रयासों के जरिये सूचना को साझा करने सहित चुनौतियों के विरूद्ध सहयोग को सशक्त बनाने के उपायों पर चर्चा की। दोनों देशों ने आतंकवादियों की भर्ती, आतंकी उद्देश्यों के लिए प्रौद्योगिकी के दुरूपयोग और आतंकवाद के वित्तपोषण जैसे व्यापक परंपरागत तथा उभरते खतरों और चुनौतियों की भी समीक्षा की।
दोनों पक्षों ने आईएसआईएस और अलकायदा के सहयोगियों, लश्कर-ए-तैयबा तथा जैश-ए-मोहम्मद और उनके छद्म गुटों, सर्मथकों, प्रायोजकों, वित्तपोषकों तथा संरक्षकों को संयुक्त राष्ट्र की 1267वीं प्रतिबंध व्यवस्था के तहत अतिरिक्त रूप से नामित करने का आह्वान किया। जिससे यह सुनिश्चित किय जा सके कि उनके सदस्यों पर वैश्विक परिसंपत्ति फ्रीज, यात्रा प्रतिबंध और हथियार प्रतिबंध लगाया जाए।
इस बैठक में आतंकवाद के खिलाफ मुकाबले में द्विपक्षीय सहयोग के महत्व का उल्लेख किया गया। यह भारत-अमरीका की व्यापाक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की भावना का परिचायक है। दोनों देशों ने आतंकी उद्दश्यों के लिए मानवरहित विमानों, ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढते इस्तेमाल पर चिंता व्यक्त की।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में आतंकवाद रोधी संयुक्त सचिव डॉक्टर विनोद बहाडे ने किया, जबकि अमरीका के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अमरीका के विदेश मंत्रालय में आतंकवाद रोधी ब्यूरो की वरिष्ठ ब्यूरो अधिकारी मोनिका जैकबसेन ने किया।