केंद्रीय युवा कार्यक्रम, खेल तथा श्रम और रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज कहा कि भारत एक समय में जहाज निर्माण और समुद्री क्षमताओं में विश्व में अग्रणी था।
समुद्री सप्ताह 2025 में समुद्री मानव पूंजी सत्र में मुख्य भाषण देते हुए डॉ. मांडविया ने बताया कि वास्को-डी-गामा के भारत आने से बहुत पहले ही भारतीय व्यापारियों ने विश्वभर में व्यापक व्यापार मार्ग स्थापित कर लिए थे।
मनसुख मांडविया ने पूर्व-आधुनिक कच्छी दिशा-सूचक नियमावली मालम नी पोथी का उल्लेख करते हुए कहा कि ये नाविकों के लिए विश्व स्तर पर स्वीकृत मार्गदर्शक थी।
डॉ. मांडविया ने कहा कि भारत को समुद्री अमृत काल परिकल्पना 2047 को साकार करने के लिए अपने प्राचीन समुद्री ज्ञान का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाने के लिए गुजरात के लोथल में समुद्री परिसर की स्थापना की जा रही है।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. मांडविया ने अग्रणी भारतीय महिला समुद्री पेशेवरों और भारतीय नौवहन रजिस्टर के संस्थापक कैप्टन जे.सी. आनंद को सम्मानित भी किया।