मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति प्राचीन काल से लोकतांत्रिक मूल्यों से परिपूर्ण रही है। इसका उद्देश्य किसी पर जबरन शासन करना नहीं था बल्कि इसकी भावना ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ की रही है। इसका नया स्वरूप आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ सबका विकास’ के संकल्प में दिखता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं और राष्ट्र संत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में समसामयिक विषयों के सम्मेलनों की श्रृंखला के पहले दिन ‘लोकतंत्र की जननी है भारत’ विषय पर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र को लेकर वैदिक कालखंड से लेकर रामायणकालीन और महाभारत कालीन अनेक उद्धरण देखने को मिलते हैं। भारत के लोकतंत्र में प्राचीन समय से लेकर आज तक जनता की आवाज और जनता के हित को ही सर्वोपरि रखा गया है।
उन्होंने कहा- दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता तो इसलिए है क्योंकि जब दुनिया में सभ्यता नहीं थी, संस्कृति नहीं थी, मानवीय जीवन मूल्यों के प्रति लोगों के मन में किसी प्रकार का कोई आग्रह नहीं था। तब भारत के अंदर सभ्यता अपने चरमोत्कर्ष पर थी, लेकिन उसका उद्देश्य, किसी पर शासन करना नहीं था, किसी का स्वत्त जबरन हरण करने का नहीं रहा, बल्कि उसका उद्देश्य एक ही था, जो हमारा वैदिक उद्घोष करता है, जो हमारे वेद कहते हैं कि सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया।