उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि मानवाधिकार हमेशा से भारत के नैतिक ताने-बाने में शामिल रहे हैं। नई दिल्ली में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग-एनएचआरसी के स्थापना दिवस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि भारतीय संविधान मानव अधिकारों के लिए मार्ग दर्शक है। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता और समानता का अधिकार प्रदान करती है, जो मानव अधिकारों का सार है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी तरह का भेदभाव मानवाधिकारों के मूल पहलुओं के लिए चुनौती है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार सार्वजनिक प्रतिक्रिया से ही सुरक्षित और पोषित होते हैं। मानवाधिकारों के लिए नागरिकों से बड़ा संरक्षक कोई नहीं है।
श्री धनखड़ ने कहा कि लोगों को मानवाधिकारों के उल्लंघन का विरोध करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि दूसरों के मानवाधिकारों का सम्मान करना अपने मानवाधिकारों का सम्मान करने जैसा है। एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष विजया भारती सयानी और प्रधान सचिव भरत लाल ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया।