भारतीय कंपनियां दुबई की ओर तेजी से जा रही हैं। 2023 में पंद्रह हजार 481 नई भारतीय कंपनियों ने दुबई चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स में स्वयं को शामिल किया। प्रतिवर्ष 38 प्रतिशत कंपनियाँ दुबई चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स में शामिल हुईं, जिसके फलस्वरूप भारतीय निवेशकों के लिए दुबई प्रमुख केंद्र बन गया। दुबई चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स ने विश्लेषण में बताया है कि दोनों देशों के सुदृढ़ संबंध हैं।
भारत-संयुक्त अरब अमीरात व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते-सीईपीए को लागू करने से पता लगा कि यह भागीदारी अप्रैल 2022 में शुरू हुई, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को और अधिक बढ़ावा देना है। सीईपीए ने प्रक्रियाओं, शुल्क में कमी को लागू करके दोनों देशों के बीच व्यापार के अनुकूल माहौल बनाया। भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच नॉन-ऑयल द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने से पचास अरब अमरीकी डॉलर का उल्लेखनीय उछाल आया। इस दशक के अंत तक इस बढ़ोतरी को सौ अरब अमरीकी डॉलर तक ले जाने का उद्देश्य रखा गया है।
अधिकांश नई कंपनियों ने 2023 में दुबई चैम्बर्स ऑफ कामर्स के साथ पंजीकरण करने के बाद थोक, खुदरा व्यापार और मोटर वाहनों के क्षेत्र में काम की शुरुआत की। ये नई कंपनियां दुबई चैंम्बर्स ऑफ कॉमर्स की 44 दशमलव दो प्रतिशत हैं। इसके बाद रियल एस्टेट, रेटिंग और व्यापारिक गतिविधियों के क्षेत्र दुबई चैम्बर्स ऑफ कामर्स के सदस्य बने, जो कि कुल सदस्यों का 32 प्रतिशत हैं। इससे पता चलता है कि भारत-संयुक्त अरब अमीरात के बीच आर्थिक सहयोग विकास के मार्ग पर है।
दुबई चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स लाभ-रहित सार्वजनिक संस्था है, जो व्यापार को सशक्त बनाने, नवाचार की मूल्य संवर्धित सेवाएं प्रदान करने और प्रभावशाली नेटवर्क तक पहुंच बनाने के लिए वैश्विक संस्था के दुबई विजन को बढ़ावा देता है।