भारतीय नागरिक संहिता 2023 में विचाराधीन कैदियों को न्याय दिलाने से संबंधित प्रावधान किये गये हैं। नये आपराधिक कानूनों में जेलों में भीड़ कम करने को लेकर कदम उठाये गये हैं। इसके तहत पहली बार के अपराधी निर्धारित अधिकतम सजा की एक तिहाई सजा काटने के बाद जमानत पर रिहा किये जा सकते हैं। इससे पहली बार के अपराधियों का पुनर्वास किया जा सकेगा और अनावश्यक हिरासत अवधि भी कम होगी।
अपराधी की जमानत के लिये आवेदन करने की जिम्मेदारी अब उस जेल अधीक्षक की है, जहां आरोपी बंद है। योग्य कैदियों के लिये कानूनी अधिकारी सुनिश्चित करना, न्याय प्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव का प्रतीक है।
इस नये कानून से समय पर न्याय सुनिश्चित करने और जेलों में कैदियों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी। यह प्रावधान छोटे अपराधों के आरोपियों या दोषी लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाने और दोबारा अपराध करने की संभावना को कम करेगा।