भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में आज संवाददाता सम्मेलन में असम की दो फ़िल्मों, भैमों दा और पत्रलेखा के बारे में जानकारी दी गईं। निर्देशक ससांक समीर ने महान फ़िल्म निर्माता मुनिन बरुआ पर बनी पहली व्यावसायिक बायोपिक, भैमों दा का परिचय दिया। इसमें असमिया सिनेमा के 90 वर्षों के उनके प्रेरक सफ़र और योगदान को दर्शाया गया है। उन्होंने बताया कि यह फ़िल्म बरुआ के जुनून, संघर्ष और सिनेमाई युग की भावना को दर्शाती है। इस फिल्म को पाँच वर्षों के समर्पित शोध और व्यापक अभिलेखीय कार्य ने आकार दिया है।
निर्देशक नम्रता दत्ता ने डॉ. भूपेन हज़ारिका के एक कालातीत गीत से प्रेरित पत्रलेखा के बारे में बात की। यह लघु फ़िल्म गाँव और शहर के विपरीत दृश्यों के माध्यम से प्रेम, मौन और अलगाव की खोज करती है और प्रकाश तथा मनोदशा के माध्यम से भावनात्मक गहराई को दर्शाती है।